Book Title: Khartargaccha Sahitya Kosh
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

View full book text
Previous | Next

Page 581
________________ ६९८६. सुमतिरङ्ग उ० / चन्द्रकीर्ति उ०, शिक्षा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-अइसे औषध की... गा.७', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६७ ६९८७. सुमतिरङ्ग उ० / चन्द्रकीर्ति उ०, शुद्ध विणज करण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-जीव विणज विधि ऐसी तूं जानि... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६७ ६९८८. सुमतिरङ्ग उ० / चन्द्रकीर्ति उ०, सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-केसर चन्दण किर अगर कपूरभर... गा. १', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ६९८९. सुमतिविजय उ० / विनयमेरु उ०, जिनराजसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-आवउजी म्हारइ पूज इणि देसउइ रे... गा. ६', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १७७ ६९९०. सुमतिविमल, जिनसुखसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-सहु मिलि सूहव ____ आवउ मनरली... गा. ९', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २४९ ६९९१. सुमतिसागर उ० / पुण्यप्रधान उ०, सिद्धाचल स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६८५, _ 'गा. १२', अ. ६९९२. सुमतिसागर / बेगड़ ?, जिनचन्द्रसूरि हिंडोला गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि गुरु लब्धि गौतमसामी... गा. ४', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुटका नं. ४१५ ६९९३. सुमतिसिन्धुरगणि' / मतिकीर्त्ति उ०, गिरनार नेमिजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६९८, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६९९४. सुमतिसिन्धुरगणि / मतिकीर्त्ति उ०, गौडी पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६९६, 'आदि-पुरषादेय उदय करु, अन्त–संवत सोल छयाणवई... गा. २०', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ. ५७४ ६९९५. सुमतिसिन्धुरगणि / मतिकीर्ति उ०, लौद्रवा पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___ १७१५, 'गा.७', अ. ६९९६. सुमतिसुन्दरगणि / धर्मनिधान उ०, शान्तिनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६५० . वीरमपुर, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर ६९९७. सुमतिसुन्दरगणि / धर्मनिधान उ०, सूरत पार्श्वजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, अ. ६९९८. सुमतिसेन, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-अब सखी देखउ री मो पीऊ... गा. ३', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ६९९९. सुमतिसेन, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-जीव मेरा हो क्युं तजि जात... गा. ५', अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह ७०००. सुमतिहंस / जिनहर्षसूरि आद्य, पंच महाव्रत सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर खरतरगच्छ साहित्य कोश 511 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692