Book Title: Khartargaccha Sahitya Kosh
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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७०७८. गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-गुरुदेव मेरा... गा. ४', मु., दादागुरु
___ भजनावली, पृ. ५२६ ७०७९. गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, आदि-दिल्ली से उठी दादा... गा. ६', मु., दादागुरु
भजनावली, पृ. ५२६ ७०८०. गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-नईया मेरी दादा... गा. ७', मु., दादागुरु
__ भजनावली, पृ. ५२७ ७०८१. गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-सद्गुरु ने मोहे... गा. ५', मु., दादागुरु
भजनावली, पृ. ५२७ ७०८२. चतुर्दादा स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-आ करते हैं वंदना... गा. ४', मु.,
दादागुरु भजनावली, पृ. ४८९ ७०८३. चतुर्दादा स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-देख बंगला... गा. ७', मु., दादागुरु
__ भजनावली, पृ. ४८८ ७०८४. जिनकुशलसूरि आरती, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-आरती कीजे कुशल... गा. ५',
मु., दादागुरु भजनावली; पृ. ३८७ ७०८५. जिनकुशलसूरि आरती, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-जय जय आरती... गा. ५', मु.,
दादागुरु भजनावली, पृ. ३८७ ७०८६. जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-आया रहियोजी... गा. २',
मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३८२ ७०८७. जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-गुरुदेव जगत... गा. ६', मु.,
दादागुरु भजनावली, पृ. ३८२ ७०८८. जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-गुरुदेव मनाओ... गा. ५', मु.,
दादागुरु भजनावली, पृ. ३८३ ७०८९. जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८४४ गडाला, 'आदि-जिनकुशलसूरिंद...
गा.७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३८३ ७०९०. जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-नित नमिये कुशल... गा. २',
___मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३८४ ७०९१. जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८५५, आदि-प्रत्यक्ष दर्शन दीजे... गा. ५',
मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३८४ ७०९२. जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-श्री जिनकुशल सूरीसर...
गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३८५ ७०९३. जिनचन्दसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-सरस वचन सरसति... गा. १३
. अपूर्ण', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १०२ ७०९४. जिनचन्द्रसूरि पंचनदी साधन कवित्त (जिनरत्तीय), गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि
उछलती जल अकल बोल... गा. १', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २४८
खरतरगच्छ साहित्य कोश
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