Book Title: Khartargaccha Sahitya Kosh
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 589
________________ ७११२. ज्ञानसार गुणवर्णन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-मै वंदन जिस दिन करूं पल पल वारुं प्रान... गा. ९', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १०७ ७११३. ज्ञानसार गुणवर्णन सोरठीया दूहा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-कायम जस __ कीधाह लाहो लीधो लोक में... गा. ८', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १०६ ७११४. दयातिलक गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सरद ससी सम सुहगुरु सोहइ... गा. ७', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ४१९ ७११५. दादा द्वय कवित्त, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-विघ्न हरण... गा. १', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४६२ ७११६. दादा द्वय स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, आदि-मुल्क में मशहूर... गा. १३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४७२ ७११७. बेगड़ गुरु गीत, ऐतिहासिक गीत, राजस्थानी, १६५०, आदि-रूडी रे कीधी रूडी... गा. ९', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर ७११८. भावप्रभसूरि गीत, गीत स्तवन, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि-समरवि सुगुरु पाय अहे... गा. १५', ___ मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ४९ ७११९. भावप्रमोद भावहर्ष उ० स्वर्गगमन अष्टक, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७४४, 'आदि-विरदे - वखाणीजै जी भावप्रमोद.... गा. ८', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २५८ ७१२०. भावप्रमोद भावहर्ष,उ० स्वर्गगमन अष्टक, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७४४, 'आदि-जिसौ भाव जोगी जती जोग तत्त जाणंतौ... गा. ४', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २५८ ७१२१. भावहर्ष भावहर्ष उ० गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्री सरसति मति दिउ घणी... गा. १५', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १३५ ७१२२. मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-गुरु की नगरिया... गा. ३', - मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १४३ ७१२३. मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, आदि-गुरु नाम ले... गा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १४४ ७१२४. मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, आदि-गुरु नाम सहारा... गा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १४५ ७१२५. मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, आदि-गुरुवर तुम्हारी... गा. ३', - मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १४५ ७१२६. मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, आदि-जाना है जग से... गा. २', ___ मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १४६ ७१२७. मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-जिन शासन के... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १४६ ७१२८. मणिधारी जिनचन्द्रसूरि स्तवन, गीत स्तवन, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-तुम तो भले विराजो जी... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १४० 519 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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