Book Title: Khartargaccha Sahitya Kosh
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 570
________________ ६८२२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, शान्तिनाथ स्तवन–पाटन पंचकल्याणक गर्भित देवगृह वर्णन युक्त, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. २५ अपूर्ण', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १०४ ६८२३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, शान्तिनाथ हुलरामणा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-शान्तिकुंयर सोहामणउ... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १०८ ६८२४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, शालिभद्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी,. १७वीं, 'आदि–धन्नउ शालिभद्र बेइं... गा. ८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३०४ ६८२५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, शालिभद्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-राजगृहीनउ विवहारियउ रे... गा. १०', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३०६ ६८२६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, शालिभद्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि शालिभद्र आज तुम्ह नइ आपणी...', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३०५ ६८२७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, शाश्वतजिन चैत्य प्रतिमा बृहत्स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि–रिषभानन वधमान चंद्रानन जिन... गा. १८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५१ ६८२८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, शाश्वत तीर्थंकर स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-शाश्वत तीर्थंकर च्यार... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २१८ ६८२९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, शीतल जिन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-कहउ सखि कउण कही जइ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ९७ ६८३०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, शीतलनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-मुख नीको शीतलनाथ को... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ९६ ६८३१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, शीतलनाथ स्तवन-अमरसर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-मोरा साहिब हो श्री शीतलनाथ कि... गा. १५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ९७ ६८३२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, शील गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि शील व्रत पालउ परम सोहामणउ रे... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४५३ ६८३३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, शुद्ध श्रावक दुष्कर मिलन गीत-२१ गुणगर्भित, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-कइयइ मिलस्यइ श्रावक एहवा... गा. २१', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४६९ ६८३४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, श्रावक बारह व्रत कुलक, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६८९ बीकानेर, 'आदि-श्रावक ना व्रत सुण जो बार... गा. १५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४६२ 500 खरतरगच्छ साहित्य कोश Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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