Book Title: Khartargaccha Sahitya Kosh
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 553
________________ ६६१२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, तीर्थंकर समवसरण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ' आदि - विहरंता जिनराय... गा. १०', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २२३ ६६१३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, तीर्थमाला स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्री त्रुञ्जि गिरिशिखर... गा. १०', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५८ ६६१४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, तीर्थमाला स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ' आदि - सेतुंजे ऋषभ समोसरया... गा. १९', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५६ ६६१५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, तुर्य वीसामा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ' आदि - भारवाहक नइ कहया भला... गा. २', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४५५, ६६१६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, थावच्चा ऋषि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ' आदि - नगरी द्वारिका निरखियइ... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २६६ ६६१७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, दशार्णभद्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ' आदि-मुगध जन वचन सुणि राय चित... गा. ९', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २८१ ६६१८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, दान गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदिजिनवर जे मुगतइ गामी... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४५२ ६६१९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, दान शील तप भाव गूढ़ा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-ग्रहपति पुत्र क्रतूत करउ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४५४ ६६२०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, दुमुह प्रत्येकबुद्ध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-नगरी कंपिल्ला नउ धणीरे... गा. ७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २६८ ६६२१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, दुषमाकाले संयम पालन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७बीं, ‘आदि-हां हो, संयम पथ किम पलइ... गा. २, मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४४४ ६६२२.. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, देवगति प्राप्ति गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि बारे भेद तप तपइ गति पामइ... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४६.१ ६६२३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, धन्ना अणगार गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-वीर जिणंद समोसरया जी... गा. ९', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २८५ ६६२४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, धन्ना अणगार गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि- सरसति सामण वीनवुं... गा. १५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २८३ ६६२५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, धन्ना शलिभद्र सज्झाय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-प्रथम गोपाल तणइ भवइजी... गा. ३६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३०० Jain Education International खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only 483 www.jainelibrary.org

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