Book Title: Khartargaccha Sahitya Kosh
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 546
________________ ६५२१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, चौवीस दण्डक विचार स्त., ६५२०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, चौवीस जिन सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-नाभिराय मरुदेवी नन्दन... गा. २५', मु. समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १५ गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्री महावीर नमूं कर जोडि... गा. १३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २३० ६५२२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जम्बू स्वामी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ' आदि - जाऊं बलिहारी जम्बू स्वामिनी रे... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २७७ ६५२३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जम्बू स्वामी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ' आदि - नगरी राजगृह मांहि वसे रे... गा. १२', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २७६ ६५२४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जग सृष्टिकर्त्ता परमेश्वर पृच्छा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ‘आदि-पूछूं पंडित कहउ का हकीकत... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४४३ ६५२५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि- आज आणंदा हो आज आणंदा... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३५२, दादागुरु भजनावली, पृ. ३७४ ६५२६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ‘आदि-आयो आयो जी समरंता दादौ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३५०, दादागुरु भजनावली, पृ. ३७५ ६५२७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-दादाजी दीजइ दोय चेला... गा. २', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३५६, दादागुरु भजनावली, पृ. ३७७ ६५२८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पाणी पाणी नदी रे नदी... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३५४ ६५२९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनकुशलसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि - अपूर्ण...', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ६२५ ६५३०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं अहमदाबाद, .' आदि - दादो तो चिन्ता... गा. ७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३७७ ६५३१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनकुशलसूरि गीत अमरसर मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि - दाखि हो मुझ दरिसण दादा... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३५२, दादागुरु भजनावली, पृ. ३७६ ६५३२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनकुशलसूरि गीत अहमदाबाद मण्डन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-दादो तो दरसण दाखइ... गा. ७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३५५ 476 Jain Education International खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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