Book Title: Khartargaccha Sahitya Kosh
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 549
________________ ६५५९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसागरसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-साहेली हे सागरसूरि वांदियइ... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४१४ ६५६०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसागरसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-सिणगार करउ रे साहेलड़ी रे... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४१५ ६५६१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसागरसूरि सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सोल शृङ्गार करइ सुन्दरी... गा. १', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४१४ ६५६२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-अमरसर अब कहउ केती दूर... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३८८ ६५६३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-अरी मोकू देहूँ वधाई... गा. २', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३८४ ।। ६५६४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-आज कुं धन दिन मेरउ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३८३, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १२९ ६५६५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-आज मेरे मन की आस फली... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३८२, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १२७ ६५६६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-आज सखी मोहि धन्य जीया री... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३९८ ६५६७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-आचारिज तुमे मन मोहियो... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३८५, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १३१ ६५६८: समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-आवउ सुगुण साहेलड़ी... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४०१ ।। ६५६९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-गुरु के दरस अंखियां मोहि तरसइ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३९७ ६५७०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, - 'आदि-चतुर लोक राजइ गुणे रे... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४०३ ।। ६५७१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, जिनसिंहसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-चालउ सहेली सद्गुरु वांदवाजी... गा. ९', मु., समयसुन्दर. कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३८०, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १२८ खरतरगच्छ साहित्य कोश 479 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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