Book Title: Khartargaccha Sahitya Kosh
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

View full book text
Previous | Next

Page 543
________________ ६४८०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, उद्यम भाग्य गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, ___ 'आदि-उद्यम भाग्य बिना न फलइ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४३९ ६४८१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, उपधान गुरुवाणी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-वाणि करावउ गुरुजी वाणि... गा. ९', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २४३ ६४८२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, उपधान तप स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्री महावीर धरम परकाशइ... गा. १८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ.८९ ६४८३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, ऋषभदेव हुलरामणा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी १७वीं, 'आदि-रूडा रिषभ जी घर आवउ रे... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ.९० ६४८४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, ऋषि महत्त्व गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-बैइठि तखत्त हुकम करइ... गा. २', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४७३ ६४८५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, एकादश गणधर गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, -- १७वीं, 'आदि-प्रात समइ उठि प्रणमियइ... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३४६ . ६४८६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, करकण्डू प्रत्येक बुद्ध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, ___ १७वीं, 'आदि-चंपानगरी अति भली हुं वारि... गा.५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २६७ ६४८७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, करतार गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-कबहु मिलइ मुझ जउ करतारा... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४४३ ६४८८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, कर्म गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि- हां माई करम थी को छूटइ नहीं... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४४० ६४८९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, कर्म निर्जरा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-कर्म तणी कही निर्जरा... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४४७ ६४९०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, कामिनी विश्वास निराकरण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-कामिनी का कहि कुण विसासा... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४३४ ६४९१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, काया जीव गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-रुड़ा पंखीड़ा मुंनइ मेल्ही... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४४१ ६४९२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, क्रिया प्रेरणा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-क्रिया करउ चेला क्रिया करउ... गा. ८', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४३७ 473 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692