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पुण्य के संवर और निर्जरा के लिए
योग्य क्षेत्र में पुण्य का बीजारोपण
जैसा बीज : वैसा फल भूमि में बोया हुआ अनाज का एक दाना अनेक गुणा होकर बोने वाले को मिलता है। उसके लिए बोने वाले को खेत से उसका मुआवजा माँगने की जरूरत नहीं होती। प्रकृति के नियमानुसार अपने आप ही उसे एक कण के बदले में अनेक गुने कण मुआवजे के रूप में वापस मिलते ही हैं। बीज बोने वाले को बीज बोते समय इतनी विचारणा या पसंदगी जरूर करनी होती है कि वह कड़वे तूम्बे का बीज बो रहा है या मीठे तरबूज का? अथवा वह गेहूँ आदि पोषणक्षम अनाज का बीज बो रहा है या कँटीले बबूल का बीज बो रहा है ? बीज बोने वाले ने अनाज का बीज बोया होगा तो उसे अनेक गुना अनाज के रूप में उसका फल मिलेगा और बबूल का बीज बोया होगा तो अनेक गुने काँटों के रूप में उसका फल मिलेगा। तरबूज का बीज बोया होगा तो तरबूज के रूप में अनेक मीठे फल मिलेंगे और कड़वे तूम्बे का बीज बोया होगा तो कड़वे तूम्बे के फल मिलेंगे। यह तो खेत में बीज बोने वाले पर निर्भर है कि वह कैसे बीज बोता है?
बीज बोने से पहले और पीछे :
फल मिलने तक रखी जाने वाली सावधानी . इसके अतिरिक्त जैसे बीज बोने से पहले किसान को सावधानी रखनी पड़ती है कि जिस जमीन पर वह बीज बो रहा है, वह जमीन पथरीली, क्षार या ऊसर (बंजर) तो नहीं है ? क्योंकि बंजर जमीन में भले ही अच्छे बीज बोये जायें, वे उगते–फलते नहीं। फिर उसे यह भी देखना होता है कि अच्छी जमीन पर भी बीज बोने से पहले उस जमीन पर काँटे-कंकर, झाड़-झंखाड़, फालतू घास आदि तो नहीं है, जमीन ऊबड़-खाबड़ या कठोर तो नहीं है? ऐसा हो तो वह उस जमीन पर से काँटे-कंकर, झाड़-झंखाड़ आदि हटाकर जमीन को मुलायम और समतल करता है। फिर वह यह भी देखता है कि बीज बोने का अभी समय (मौसम या वर्षाकाल) है
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