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* निर्जरा : अनेक रूप और स्वरूप २०७
गजसुकुमाल मुनि ने बारहवीं भिक्षुप्रतिमा अंगीकार की थी। उन पर सोमल ब्राह्मण द्वारा दिये गए मरणान्तक उपसर्ग के कारण उन्हें महावेदना हुई थी, जिसे उन्होंने समभाव से सहन की, फलतः महानिर्जरा हुई । नैरयिकों को महावेदना होती है, परन्तु (सम्यग्दृष्टि के सिवाय) वे अल्पनिर्जरा ही कर पाते हैं। इसी प्रकार तिर्यंचगति के जीव तथा मनुष्यगति के जीव चारों ही विकल्पों (भंगों ) वाले होते हैं। मरुदेवी माता के वेदना अल्प और निर्जरा महान् हुई ।
चौबीसदण्डकवर्ती जीवों में से कौन, कब महावेदना और अल्पवेदना से युक्त ?
महावेदना और अल्पवेदना के सम्बन्ध में एक और निष्कर्ष 'भगवतीसूत्र' में मिलता है। नरक में उत्पन्न होने वाला जीव इस भव में रहा हुआ तथा नरक में उत्पन्न होता हुआ कदाचित् महावेदना वाला और कदाचित् अल्पवेदना वाला होता है, किन्तु नरक में उत्पन्न होने के बाद वह एकान्त दुःखरूप वेदना वेदता है, कदाचित् (तीर्थंकर आदि के जन्म, केवलज्ञान आदि के समय में ) सुख (साता ) रूप वेदना वेदता है।
दशविधं भवनपति, वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक देव पूर्वोक्त दोनों अवस्थाओं में पूर्ववत् कदाचित् महावेदना और कदाचित् अल्पवेदना वाले होते हैं, किन्तु उन-उन देवलोकों में उत्पन्न होने के पश्चात् प्रहारादि के आ पड़ने पर कदाचित् दुःखवेदना के सिवाय एकान्त सुख (साता ) रूप वेदना वेदते हैं। पृथ्वीकायादि से लेकर मनुष्यों तक के जीव पूर्वोक्त दोनों अवस्थाओं में पूर्ववत् ही होते हैं; किन्तु उस-उस भव में उत्पन्न होने के पश्चात् विमात्रा ( विविध प्रकार) से वेदना वेदते हैं। कभी अल्पवेदनायुक्त होते हैं, कभी महावेदनायुक्त।'
१. ( प्र . ) जीवे णं भंते ! जे भविए नेरतिएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! किं इहगते महावेदणे, उववज्ज़माणे महावेदणे, उववन्ने महावेदणे ?
( उ ) गोयमा ! इहगते सिय महावेदणे, सिय अप्पवेदणे, उववज्जमाणे सिय महावेदणे, सिय अप्पवेदणे, अहे णं उववन्ने भवति, ततो पच्छा एगंतदुक्खं वेदणं वेदेति, आहच्च सायं ।
[ असुरकुमारेसु जाव थणियकुमारेसु वाणमंतर - जोइसवासी - वेमाणिएस) इहगते सिय महावेदणे सिय अप्पवेदणे, उववज्जमाणे वि एवं अहे णं उववन्ने भवति ततोपच्छा एतसातं वेदणं वेदेति, आहच्च असातं ।
जे भविए पुढविकासु जाव मणुस्सेसु । इहगते' उववज्जमा सिय महावेयणे सिय अप्पवेयणे। अहे णं उववन्ने भवति ततो पच्छा वेमाताए वेयणं वेदेति । -
- भगवतीसूत्र, श. ७, उ. ६, सू. ७-११
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