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® ३०२ ® कर्मविज्ञान : भाग ७ *
समाधिमरण का सुपरिणाम और उससे सर्वकर्मक्षयरूप मोक्ष-प्राप्ति
शास्त्रकार ने समाधिमरण का माहात्म्य बतलाते हुए कहा है-“यह त्रिविध समाधिमरण मोहमुक्त साधकों का आयतन (आश्रय) है, यह हितकर, सुखकरें, क्षमारूप, निःश्रेयस्कर और भवान्तर में भी अनुगामी है।" अर्थात् इसका फल भवान्तर में भी मिलने वाला है। यह सत्य है, इसे स्वीकारने वाला सत्यवादी दृढ़प्रतिज्ञ, सांसारिक प्रपंचों से रहित परीषह-उपसर्गों से अनाकुल, इस अनशन पर दृढ़ विश्वास होने से भयंकर उपसर्ग आने पर भी अनुद्विग्न, कृतकृत्य एवं संसारसागर का पारगामी तथा समाधिमरण द्वारा जीवन को सार्थक करके प्राय: चरम लक्ष्य = समस्त कर्मक्षयरूप मोक्ष को प्राप्त कर लेता है। समभाव और धैर्यपूर्वक साधना से साधक त्रिविध शरीर से तो मुक्त (विमोक्ष) होता है, अनेक मुमुक्षुओं और विमोक्ष साधकों के लिए प्रेरक बन जाता है। ___ यही कारण है कि अन्तकृद्दशांगसूत्र, भगवतीसूत्र, औपपातिकसूत्र आदि आगमों में वर्णित उच्च साधक-साधिकाओं का समाधिमरण के लिए अंगीकृत यावज्जीव अनशन तथा उपासकदशांग आदि आगमों में वर्णित श्रमणोपासकों के द्वारा अंगीकृत संलेखना-संथारापूर्वक समाधिमरण अनेक मुमुक्षु और कर्ममुक्ति-साधकों के लिए प्रेरणादायक हैं।' यावज्जीव-अनशन में आहारादि-त्याग के साथ-साथ देहासक्ति-त्याग अत्यावश्यक
यह तो स्पष्ट है कि इस प्रकार के यावज्जीव अनशन के लिए देहासक्ति का सर्वतोभावेन परित्याग करने हेतु चारों प्रकार के आहार का, शरीर का तथा शरीर १. (क) जस्स णं एवं भवति, से गिलामि च खलु इमंसि समए इमं सरीरगं अणुपुव्वेण
परिवहित्तए, से अणुपुव्वेण आहारं संवद्र्ज्जा , २ ता, कसाए पतणुए किच्चा समाहियच्चे फलगावयट्ठी तणाई संथरेत्ता एत्थ वि समए इत्तिरियं कुज्जा। भेदुरं कायं संविधुणिय विरूवरूवे परीसहोवसग्गे अस्सिं विस्सं भणयाए भेखमणुचिण्णे। तत्था वि तस्स काल-परियाए। से वि तत्थ वियंतिकारए। इच्चेयं विमोहायतणं हितं सुहं खमं निस्से सं आणुगामियं त्ति बेमि।।
-आचारांग, श्रु. १, अ. ८, उ. ६, सू. २२४ (ख) आचारांगसूत्र, श्रु. १, अ. ८, उ. ६, सू. २२४ के विवेचन से (आ. प्र. समिति,
ब्यावर), पृ. २७९-२८१ (ग) तं सच्चं सच्चवादी ओए तिण्णे छिण्णकहकहे आतीतढे अणातीते चिच्चाण।
-वही, अ.८, उ.६ (घ) देखें-अन्तकृद्दशांग में संलेखना-संथारा करने वाले चरमशरीरी साधक-साधिकाओं का
वृत्तान्त देखें-उपासकदशांग में आनन्द, कामदेव आदि श्रमणोपासकों के द्वारा गृहीत संलेखना-संथारा का वृत्तान्त
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