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* ३९२ ॐ कर्मविज्ञान : भाग ७ ॐ
परिवर्तन आ गया था। ऐसे ही प्रेरणादायक, सदाचार-पोषक ग्रन्थों, पुस्तकों एवं शास्त्रों को पढ़ना-सुनना-सुनाना वाचना-स्वाध्याय है। वाचना-स्वाध्याय में तीन बातों का ध्यान रखना अत्यावश्यक
वाचना (अध्ययन करने) में तीन बातों का ध्यान रखना अत्यावश्यक है(१) एकाग्रता, (२) नियमितता, और (३) निर्विकारिता। एकाग्रता से पढ़ी हुई बात दिमाग में जम जाती है। अन्यमनस्क होकर या सांसारिक चिन्ताओं में मनं लगाये. रखकर पढ़ी हुई बात हृदयंगम नहीं होती। शास्त्र या ग्रन्थ के स्वाध्यायी को टी. वी., सिनेमा, फिल्म तथा अश्लील साहित्य पढ़ने-सुनने-देखने से एकाग्रता भंग हो जाती है। इस स्वाध्याय में फिर उसका मन नहीं लगता, उसकी रुचि शास्त्र या ग्रन्थों के स्वाध्याय से भ्रष्ट हो जाती है। शास्त्रों या ग्रन्थों का पठन-पाठन भी नियमित होना चाहिए। इससे अध्ययन तथा उपार्जित ज्ञान भी प्रखर हो जाता है, पढ़ने की स्पीड (गति) भी बढ़ जाती है। तीसरी बात है-निर्विकारिता की। स्वाध्यायी के जीवन में काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, मत्सर, ईर्ष्या, द्वेष, घृणा, पूर्वाग्रह, हठाग्रह आदि विकार होंगे तो वह स्वाध्याय योग्य शास्त्रों या ग्रन्थों को पढ़-सुनकर भी अपनी विपरीत दृष्टिवश उलटी प्रेरणा लेगा। अर्थ का अनर्थ भी कर सकता है। इन तीनों तथ्यों के साथ वाचना-स्वाध्याय करेगा, तो वह तप होगा, उससे कर्मनिर्जरा होगी।' वाचना देने-लेने के अयोग्य व योग्य कौन-कौन ?
'स्थानांगसूत्र' में चार प्रकार के व्यक्तियों को वाचना देने-लेने या करने के लिए अयोग्य बताया है-(१) जो अविनीत हो। (२) जो प्रतिदिन दूध-घृतादि विकृतिजन पदार्थों के सेवन करने में आसक्त-प्रतिबद्ध हो। (३) जो अव्यवशमित-प्राभृत हो अर्थात् जिसका कलह और क्रोध उपशान्त न हुआ हो, और (४) जो मायाचारी हो। इसके विपरीत चार प्रकार के व्यक्तियों को वाचनायोग्य बताया है-जो विनीत, विकृति-अप्रतिबद्ध, व्यवशमित-प्राभृत और अमायावी हो।
भगवान से जब वाचना से लाभ के विषय में पूछा गया तो उन्होंने कहा"वाचना से जीव कर्मों की निर्जरा करता है। श्रुत (शास्त्रज्ञान) की आशातना से बचता है। श्रुत की अनाशातना में प्रवृत्त जीव तीर्थधर्म (प्रवचन, गणधर या
१. चत्तारि अवायणिज्जा पण्णत्ता, तं.-अविणीए, विगइ-पडिबद्धे, अविओसवित-पाहुडे, माई। चत्तारि वायणिज्जा प. तं.-विणीते, अविगइ-पडिबद्धे, विओसवितपाहुडे अमाई। .
___ -स्थानांगसूत्र, स्था. ४, उ. ३, सू. ४५२-४५३
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