________________
जैन कला का अवदान
५७
४. उन्निथन, एन० जी०, रैलिक्स ऑव जैनिज्म - आलतूर', जर्नल इण्डियन हिस्ट्री, खं० ४४, भाग १, अप्रैल १९६६, पृ० ५४२ ।
५. द्रष्टव्य, मार्शल, जान, मोहनजोदड़ो ऐण्ड दि इण्डस सिविलिजेशन, खं० १, लन्दन, १९३१, फलक १२, चित्र १३, १४, १८, १९, २२, पृ० ४५, फलक १० ।
अगस्त १९३२, पृ० १५१ - १६० ;
६. चंदा, आर० पी०, 'सिन्ध फाइव थाऊजण्ड इयर्स एगो मार्डन रिव्यू, सं० ५२, अं० २, रामचन्द्रन, टी० एन०, 'हरप्पा ऐण्ड जैनिफर्म' ( हिन्दी अनु० ), अनेकान्त, वर्ष १४, जनवरी १९५७, पृ० १५७-६२१, शाह, यू० पी०, स्टडीज इन जैन आर्ट, वाराणसी, १९५६, पृ० ३-४ ।
७. शाह, यू०पी०, 'विगिनिंग्स ऑव जैन आइकनोग्राफी', संग्रहालय पुरातत्त्व पत्रिका, अं० ९, जून १९७२, पृ० २ ।
८. शाह, यू०पी०, 'ए यूनीक जैन इमेज ऑव जीवन्त स्वामी', जर्नल ओरियण्टल इन्स्टीट्यूट, खं० १, अं० १, सितम्बर १९५१, पृ० ७२ - ७९; शाह, 'साइड लाइट्स आन दि लाईफटाइम सेण्डल वुड इमेज ऑव महावीर' जर्नल ओरियण्टल इन्स्टीट्यूट, खं० १, अं० ४, जून १९५२, पृ० ३५८-६८; शाह, 'श्री जीवन्तस्वामी' (गुजराती), जैन सत्यप्रकाश, वर्ष ० १७, अं० ५-६, पृ० ९८ - १०९, शाह, अकोटा ब्रोन्जेज, बम्बई, १९५९, पृ० २६-२८ ।
९. शाह, यू० पी० 'श्री जीवन्तस्वामी', जैन सत्यप्रकाश, वर्ष १७, अं० ५-६, पृ० १०४, शाह, 'ए यूनीक जैन इमेज ऑव जीवंत स्वामी', जर्नल ओरियण्टल इन्स्टीट्यूट, खं० १, अं० १, पृ० ७९ ।
१०. शाह, यू०पी०, 'ए यूनीक जैन इमेज ऑव जीवंत स्वामी', पूर्व निर्दिष्ट, पृ० ७२-७९ । ११. शाह, यू०पी०, अकोटा ब्रोन्जेज, पृ० २६ - २८, फलक ९ ए, बी, १२ ए । १२. जैन, हीरालाल, भारतीय संस्कृति में जैन धर्म का योगदान, भोपाल, १९६२, पृ० ७२ । १३. द्रष्टव्य, जैन, जे० सी०, लाईफ इन ऐन्शष्ट इण्डिया ऐज डेपिक्टेड इन दि जैन केनन्स, बम्बई, १९४७, पृ० २५२, ३००, ३२५ ।
१४. द्रष्टव्य, शाह, यू०पी०, 'श्री जीवंत स्वामी'; जैन सत्यप्रकाश, वर्ष १७, अं० ५-६, पृ० ९८ ।
१५. वसुदेवहिण्डी खं० १, भाग १, पृ० ६१ ।
१६. त्रिपष्टिशला कापुरुषचरित्र १०,११.३७९-८० ।
१७. द्रष्टव्य, जायसवाल, के० पी०, 'जैन इमेज ऑव मौर्य पिरियड', जर्नल बिहार उड़ीसा रिसर्च सोसाइटी, खं० २३, भाग १, १९३७, पृ० १३०-३२, बनर्जी - शास्त्री, ए०, 'मौर्यन स्कल्पचर्स फ्राम लोहानीपुर, पटना', जर्नल बिहार उड़ीसा रिसर्च सोसाइटी, खं० २६, भाग २, जून १९४० पृ० १२०-२४ ।
१८. जायसवाल, के० पी०, पूर्व निर्दिष्ट, पृ० १३१ ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
परिसंवाद-४
www.jainelibrary.org