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जैन विद्या एवं प्राकृत : अन्तरशास्त्रीय अध्ययन
नेऊण पोट्ट
पेट
मेदणा
साला
प्राकृत मराठी
अर्थ णिरूत निरूते
निश्चय दद्दर दादर
सीढ़ी दोद्धि दूधी
लौकी नेऊन
ले जाकर पोट मुक्क मुकणो
भौंकना माउच्छिय माउसी
मौसी मेला मेला
मेला मेहुण रंगावलि रांगोली
रंगोली बाउल्ल बाहुली
गुड़िया सुण्ह कन्नड़, तमिल, तेलगु
केवल मराठी ही नहीं, अपितु दक्षिण भारत की अन्य भाषाएँ भी प्राकृत के प्रभाव से अछूती नहीं हैं। यद्यपि उनमें संस्कृत के शब्दों की अधिकता है तथापि उन्होंने लोक-भाषाओं से भी शब्दों का संग्रह किया है। दक्षिण की कन्नड़, तमिल, तेलगु मलयालम आदि भाषाओं में प्राकृत के तत्त्व विषय को लेकर स्वतन्त्र अनुसन्धान की आवश्यकता है । कुछ विद्वानों ने इस विषय पर कार्य भी किया है। इन भाषाओं में प्रयुक्त प्राकृत से विकसित कुछ शब्द इस प्रकार हैंप्राकृत
कन्नड़ ओलग्ग
ओलग, ओलगिसु सेवा करना करडा करडे
करटा कण्दल
मारना लड़ाई कुरर कुरी,कुरब
भेड़, गड़रिया कोट्ट कोटे
किला चबेड चप्पालि
ताली मारना देसिय देशिक
पथिक धगधग धाधगिसु
तेजी से चलना पल्लि पल्ली, हल्ली
गाँव पुल्लि पुलि, हुलि
बाघ पिसुण पिसुणि
कहना
अर्थ
कद
परिसंवाद-४
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