Book Title: Jain Vidya evam Prakrit
Author(s): Gokulchandra Jain
Publisher: Sampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi

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Page 317
________________ ३०० जैन विद्या एवं प्राकृत : अन्तरशास्त्रीय अध्ययन १३. आर० एन० दाण्डेकर, प्रोसीडिंग्स् आफ द सेमिनार इन प्राकृत स्टडीज, १९६९, पूना । १४. गिर्यसन, लिग्विस्टिक सर्वे आफ इण्डिया, खण्ड १, भाग १ । १५. के० एम० मुन्शी, गुजराती एण्ड इटस् लिटरेचर । १६. तगारे, हिस्टारिकल ग्रामर आफ अपभ्रंश। १७. वीरेन्द्र श्रीवास्तव, अपभ्रंश भाषा का अध्ययन । १८. एस० एम० कत्रे, प्राकृत लेंग्वेजेज एण्ड देयर कन्ट्रीव्यूसनस् दु इण्डियन कल्चर । १९. एच० सी० भयाणी, अपभ्रंश एण्ड ओल्ड गुजराती स्टडीज । २०. सुनीति कुमार चटर्जी, ओरिजन एण्ड डेवलपमेंट आफ बंगाली लेग्वेज । २१. टर्नर, नेपाली-शब्दकोश । जैनविद्या एवं प्राकृत विभाग, सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर, ( राजस्थान ) परिसंवाद-४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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