Book Title: Jain Vidya evam Prakrit
Author(s): Gokulchandra Jain
Publisher: Sampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi

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Page 346
________________ परिशिष्ट २ ३२९. इस सत्र में भारतीय संस्कृति के विकाश में जैन श्रमणपरम्परा और प्राकृत के अवदान को विश्लेषित करते हुए पं० फूलचन्द्र शास्त्री, वाराणसी ने पारम्परिक शास्त्रीय दृष्टि, डा० विलास ए० संगवे, कोल्हापुर ने समाजवैज्ञानिक दृष्टि तथा प्रो० जगन्नाथ उपाध्याय, वाराणसी ने सांस्कृतिक दृष्टि से अपने विचार प्रस्तुत किये । द्वितीय सत्र की अध्यक्षता पटना विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग के अध्यक्ष डा. सुरेन्द्र गोपाल ने की। इसमें जैन कला, इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विषयक निबन्ध प्रस्तुत हुए । १५ मार्च के प्रातः कालीन सत्र की अध्यक्षता कलकत्ता विश्वविद्यालय के डॉ० सत्यरंजन बनर्जी ने की । इस गोष्ठी में प्राकृत, भारतीय भाषाएँ एवं साहित्य से सम्बद्ध निबन्ध प्रस्तुत हुए । अपराह्न में चतुर्थ सत्र प्रारम्भ हुआ । इस गोष्ठी के पूवार्ध की अध्यक्षता जोधपुर विश्वविद्यालय में संस्कृत विभाग के अध्यक्ष डॉ. दयानन्द भार्गव ने तथा उत्तरार्ध की राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर में जैन स्टडी सेन्टर के निदेशक, संस्कृत विभाग के अध्यक्ष डॉ. रामचन्द्र द्विवेदी ने की । इस गोष्ठी में धार्मिक एवं दार्शनिक चिन्तन से सम्बद्ध निबन्ध प्रस्तुत किये गये । परिचर्चा (सिम्पोजियम ) रात्रि में ८ बजे से "भारतीय विश्वविद्यालयों में प्राकृत एवं जैनविद्या का अध्ययन" विषय पर परिचर्चा ( सिम्पोजियम ) का आयोजन किया गया । विषय का प्रवर्तन करते हुए डॉ. गोकुलचन्द्र जैन तथा प्रो. जगन्नाथ उपाध्याय ने परिचर्चा के आधार सूत्र प्रस्तुत किये। परिचर्चा में निम्नांकित विद्वानों ने विशेष रूप से अपने विचार व्यक्त किये डॉ. प्रेम सुमन जैन, अध्यक्ष, जैनविद्या एवं प्राकृत विभाग, उदयपुर विश्वविद्यालय, उदयपुर, डॉ. नथमल टाटिया, निदेशक, जैन विश्व भारती, लाडनू, डॉ. नगेन्द्र प्रसाद, निदेशक, प्राकृत विद्यापीठ, वैशाली, डॉ. एम डी. बसन्तराज, अध्यक्ष, जैनविद्या एवं प्राकृत विभाग, मैसूर विश्वविद्यालय, मैसूर, डॉ. एन. एच. साम्ताणी, हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, डॉ. विलास ए० संगवे, आनरेरी प्रोफेसर आव सोशियोलाजी, शिवाजी विश्वविद्यालय, कोल्हापुर, डॉ. योगेन्द्रनाथ शर्मा, अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, बी. एस. एम. पोस्ट ग्रेजुएट कालेज, रुड़की, मेरठ विश्वविद्यालय, डॉ. रामचन्द्र द्विवेदी, निदेशक, सेन्टर आव जैन स्टडीज, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर, डॉ सत्यरंजन बनर्जी, कलकत्ता विश्वविद्यालय, कलकत्ता, , डॉ. कस्तुरचन्द कासलीवाल, निदेशक, महावीर शोध संस्थान, जयपुर । विद्वानों ने इस बात पर विशेष बल दिया परिसंवाद-४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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