________________
माँ
कोट्टइ
पिल्लम
प्राकृत तथा अन्य भारतीय भाषाएँ
२९७ प्राकृत तमिल
अर्थ अबक
अक्का कडप्प कलप्पइ
समूह कुरर कोरि
भेड़ कोह
किला पिल्लइ
पशु का छोटा बच्चा प्राकृत तेलगु
अर्थ कड़प्प कलपे
समूह कुरूलु कूरूलू
धुंघराले बाल चबेड
चप्पट
ताली बजाना डोम्बि डोमे
भंगिन पुल्लि पिलि
बाघ राष्ट्रभाषा हिन्दी और प्राकृत
आधुनिक भारतीय आर्य-भाषाओं में हिन्दी का प्रमुख स्थान है। देश के अधिकांश लोगों द्वारा यह बोली जाती है। राष्ट्रभाषा होने का गौरव इसे प्राप्त है। देश के विभिन्न भागों और भाषाओं की सम्पर्क भाषा होने के कारण हिन्दी में विभिन्न भाषाओं के शब्द भी सम्मिलित हो गये हैं। संस्कृत के शब्द भी इसमें ग्रहीत किये गये हैं, किन्तु हिन्दी में प्राकृत अपभ्रंश जैसी लोक-भाषाओं के शब्द भी कम नहीं हैं। यद इन शब्दों की जानकारी हो तो हिन्दी के हरेक शब्द की व्युत्पत्ति के लिए संस्कृत पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। हेमचन्द्र की देशीनाममाला तथा प्राकृत अपभ्रंश के अन्य ग्रन्थों के वे कुछ शब्द यहाँ उद्धृत हैं जो हिन्दी में सीधे ग्रहण कर लिये गये हैं तथा उनके अर्थ में भी कोई परिवर्तन नहीं आया है। प्राकृत हिन्दी
प्राकृत
हिन्दी अक्खाड अखाड़ा चिड़िय चिड़िया अरहट्ठ रहट
चारो
चारा उक्खल ओखली
चुल्लि
चूल्हा उल्लुटं उलटा
चोक्ख
चोखा कक्कडी ककड़ी
छइल्लो
छैला कहारो कहार
छल्लि
छाल कोइला कोयला
झमाल
झमेला कुहाड कुहाड़ा
झाड़ खट्टोक खटीक
झंझडिया झंझट
झाडं
३८
परिसंवाद-४
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org