________________
प्राकृत तथा अन्य भारतीय भाषाएँ
मह
मुह
(i) ऋकार का इ में परिवर्तन-~
शृगाल >सिआल >सिआल
हृदय > हिअअ> हिआ ( ii ) ऐ का ए में परिवर्तन
वैद्य>वेज्ज>वेज
तैल > तेल्लं > तेल (iii) दीर्घ स्वरों का प्रयोग ---
भक्त>भत्त>भात
हैस्त >हत्थ>हाथ (i) ख, घ, थ, घ, फ, भ, का ह में परिवर्तनसंस्कृत प्राकृत
उड़िया मुख सखी सही
सही लघुक
लहुक नाथ
नाह वधु
बहु ( ii) संयुक्त व्यञ्जनों का सरलीकरणग्राम
गाअ ध्वनि
धणि स्थान
ठाण स्तन
थन अग्नि अगि
अगि सपत्नी सवत्ति
सावत युग्म जुग्ग
जुग वल्कल वक्कल
वकल उडिया की क्रियाओं में प्राकृत से थोड़ा अन्तर है। किन्तु उनका विकास अपभ्रश के माध्यम से हुआ है। क्रियाएं एक वचन व बहुवचन से ही सम्बन्धित है। यथाअपभ्रंश हरइ
हरन्ति उड़िया हरइ
हरन्ति __इस प्रकार उड़िया भाषा व्याकरण और ध्वनि तत्त्वों की दृष्टि से प्राकृत व अपभ्रंश के अधिक नजदीक है। बंगला और असमिया आदि भाषाएं भी मध्ययुगीन
ठा
थण
परिसंवाद-४
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org