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अनधिकारी-अनरुच पीछे समुचित अधिकार न हो; जो अधिकारके बाहर हो। अनबड़ा*-वि० न डूबा हुआ वि० गहराई में न पैठा हुआ। (चेष्टा इ०); जो किसी अधिकारी व्यक्ति द्वारा दिया या अनबेधा-वि० दे० 'अनबिधा'। जाग न किया गया हो (वक्तव्य, विवरण इ०)। अनबोल, अनबोला-वि० न बोलनेवाला; बे-जबान अनधिकारी (रिन)-वि० [सं०] अधिकार न रखनेवाला; (पशु, शिशु, इ०)। किसी विषयकी योग्यता, पात्रता न रखनेवाला।। अनबोलता-वि० दे० 'अनबोल'। अनधिकृत-वि० [सं०] जिसकीअधिकारीके पदपर नियुक्ति अनब्याहा-वि० जिसका ब्याह न हुआ हो, अविवाहित । न हुई हो; जो अधिकारमें न किया गया हो; अनधि- | अनभल*-पु० अहित; हानि । कारिक।
अनभला-वि० बुरा, कुत्सित, निंद्य । अनधिगत-वि० [सं०] न जाना हुआ; अप्राप्त।-मनोरथ अनभाय, अनभाया-वि० न भानेवाला, अप्रिय,
-वि० जिसकी अभिलाषा पूरी न हुई हो, निराश। अरुचिकर । अनध्ययन-पु० [सं०] अध्ययन न करना; अध्ययन करते | अनभावता*-वि० दे० 'अनभाया। समय बीच में होनेवाला विराम ।
अनभिज्ञ-वि० [सं०] मूर्ख, अनजान, अनाड़ी; अपरिचित । अनध्यवसाय-पु० [सं०] अध्यवसायका अभाव; ढिलाई, | अनभिभूत-वि० [सं०] अपराजित; अबाधित । अनध्याय--पु० [सं०] पढ़ाई न होना; पढ़ाई बंद रहनेका अनभिव्यक्त-वि० [सं०] जो व्यक्त न हो, गुप्त, अस्पष्ट । दिन, छुट्टी।
अनभीष्ट-वि० [सं०] अवांछित, अप्रिय । अननुज्ञापित-वि० (डिस-अगउड) (वह प्रस्तावादि)| अनभेदी-वि० भेद न जाननेवाला। जिसे सभामें उपस्थापित करनेकी अनुज्ञा न दी गयी हो। अनभो-पु० अनहोनी बात, अचरज । वि. अलौकिक, अननुभूत-वि० [सं०] जिसका अनुभव न किया गया हो। अदभुत । अननुरूप-वि० (इंकॉम्पैटिबिल) जो रूप, स्वभाव आदिकी अनभोरी*-स्त्री० भुलावा, धोखा । दृष्टिसे अनुरूप न हो, मेल न खाता हो ।
अनभ्यस्त-वि० [सं०] जिसका अभ्यास न किया गया अनन्नास-पु० एक पौधा जिसमें ऊपरके हिस्से में फल जैसी हो; जिसने अभ्यास न किया हो। एक गाँठ बन जाती है। इसका स्वाद खटमीठा होता है। अनभ्यास-पु० [सं०] अभ्यासका अभाव; अनुशीलन, अनन्य-वि० [सं०] एकनिष्ठ; एकाश्रयी; अन्यकी ओर न मश्क या आदतका न होना । जानेवाला; अभिन्न; वही; अद्वितीय; एकाग्र; अविभक्त। अनम-पु० [सं०] ब्राह्मण (जो दूसरेको नमस्कार न करे)। -गति-स्त्री० एकमात्र सहारा। वि० दे० 'अनन्यगतिक'। -गतिक-वि० जिसको दूसरा उपाय या सहारा न हो। अनमद -वि० मदरहित; निरहंकार । अनन्याधिकार-पु० [सं०] किसी वस्तुके बनाने बेचने अनमन, अनमना-वि० उदास, खिन्न; अस्वस्थ । आदिका एकाधिकार, इजारा।
अनमाँगा-वि० बिना माँगा हुआ, अयाचित । अनन्वय-पु० [सं०] अन्वय-संबंधका अभाव; एक अर्था- अनमापा-वि० जिसकी माप न हो सके, जो नापान लंकार जिसमें उपमेय स्वयं ही अपना उपमान होता है। गया हो। अनन्वित-वि० [सं०] असंबद्ध; बे-लगाम; असंगत रहित । अनमारग-पु० कुमार्ग, अधर्म, दुष्कर्म । अनपकारक-वि० [सं०] अहानिकर; निर्दोष ।
अनमिख* --वि० दे० 'अनिभिप' । अनपच-पु० बदहजमी, अपच ।
अनमिल,-मिलत-वि० वे-मेल, असंबद्ध; निलिप्त । अनपढ़-वि० बे-पढ़ा, निरक्षर ।
अनमिलता-वि० न मिलनेवाला, अप्राप्य । अनपत्य-वि० [सं०] संतानहीन; जिसका कोई उत्तरा- अनमीलना*-स० क्रि० आँखें खोलना। धिकारी न हो; जो बच्चोंके अनुकूल न हो।
अनमेल-वि० बे-मेल; खालिस। अनपराध-वि० [सं०] निर्दोष, बेगुनाह । पु० निषिता। अनमोल-वि० अमूल्य बहुमूल्य । अनपाकरण, अनपा कर्म (न्)-पु० [सं०] इकरार पूरा | अनम्र-वि० [सं०] अविनीत; उदंड, घमंडी। न करना; ऋण या मजदूरी न चुकाना।
अनय-पु० [सं०] अनीति; अन्याय; व्यसन विपद । अनपायी (यिन् )-वि० [सं०] अचल, स्थायी, स्थिरः | अनयन-वि० [सं०] नेत्ररहित, अंधा । नाशरहित; अविकारी। [स्त्री० अनपायिनी।] अनयस*-वि० दे० 'अनैस' । अनपेक्ष, अनपेक्षी (क्षिन्)-वि० [सं०] चाह या परवाह | अनयास*-अ० दे० 'अनायास' । न रखनेवाला; तटस्थ, निष्पक्ष; असंबद्ध स्वतंत्र । अनरथ*--पु० दे० 'अनर्थ । अनपेक्षित, अनपेक्ष्य-वि० [सं०] जिसकी चाह या अनरना*-स० क्रि० अनादर करना । परवाह न हो।
अनरस-पु० रसका अभाव; रुखाई; रोष; बिगाड़दुःख । अनफाँस*-पु० बंधका उलटा, मुक्ति ।
अनरसना*-अ० क्रि० उदास होना; खिन्न होना। अनबन-स्त्री० बिगाड़; झगड़ा । * वि० विविध, अनेक । अनरसा-पु० एक मिठाई । * वि० अनमना । अनबिध-वि० दे० 'अनविधा।
अनराता*-वि० न रँगा हुआ; अनुराग-विहीन । अनविधा-वि० बिन-विधा ( मोती)।
अनरीति-स्त्री० कुरीति; अनीति; अनुचित व्यवहार । अनबूझ-वि० दे० 'अबूझ'।
| अनरुच-वि० अरुचिकर ।
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