Book Title: Dravya Gun Paryayno Ras Dravyanuyog Paramarsh Part 07
Author(s): Yashovijay
Publisher: Shreyaskar Andheri Gujarati Jain Sangh
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•विषयमार्गदर्शि.
15 વિષય
પૃષ્ઠ વિષય
પૃષ્ઠ. समातिना सोप निमित्ताने ५२मावीमे ........ २४१७ | घोरमिथ्यात्वपरिणामोत्खननम् ........................ २४२६ अशुभानुबन्धत्रोटनम् . ............................... २४१८ સ્થિરાદષ્ટિમાં પ્રવેશ.
........
२४२६ आध्यात्मि: २५२५॥६यनी ५२018................ २४१८ | महानिशीथसूत्र भु०४५ समतानिनो भा ...... २४२६ संसारनमस्कारनो विराम....... ................ २४१८ | सम्यक्त्वलाभपूर्वमपि समशत्रु-मित्रता ............... २४२७ तात्विवीतरागनमा२नी स्पर्शन। ....
| समाहित्यथा भु०४५ समातिप्रतिनो भाग ...... २४२७ स्वात्मनि परपरिणामाऽऽरोपणत्यागः ...२४१९ । सम्यग्दर्शनपूर्वं मोहवासनाऽपगमः .................... २४२८ साथी 64ासनानी मोगमा ................... २४१९ | सभ्यशनना २२ पक्षाने प्रगटावामे ......... २४२८ मा6 तत्वोनो ५२ प्र... ...................
२४१९
नानाग्रन्थानुसारेण सम्यग्दर्शनलक्षणवैविध्यम् ....... २४२९ नैश्चयि अध्यात्मयोगनी स्पर्शन ............... २४१९ समतिना ६७ बोलने मेगवीमे ................ २४२९ वर्धमानकुशलानुबन्धसन्ततिहेतुप्रदर्शनम् ............. २४२० सभ्यशनने 21वन॥२॥ गुरावैभवने माझे .... २४२९ नैश्चयि मतिमनुपाननो प्रारंभ .............. २४२० | समग्रनिजशुद्धस्वभावगोचरा निर्विकल्पानुभूतिः .... २४३० दुशलानुबंधनी वर्धमान ५२५२। ........
स्थिराष्टिनो विस........................... २४३० भय योगनो प्रर्ष .......................... २४२० डिभिन्न३. मात्मसाक्षuct२ ................. २४३० निजविशुद्धचित्स्वरूपे चित्तवृत्तिप्रवाहलयः .......... २४२१ | शुद्धद्रव्यदृष्टि-संवेगातिशयप्रभावः ..................... २४३१ मेर यित्तनो साम........
..... २४२१ वननी सताने अनुमवीमे ................ २४३१ सामाभा परमात्मशन ...........
२४२१ समारताने सर्व गुयोनो शिआस्वाद ........ २४३१ ग्रन्थिभेदपूर्वमपि सूक्ष्मभावमीमांसा
| पुश्य५ ५४ सोनानी !
.......... २४३१ तत्त्वसंवेदनज्ञाने स्तः ..................... २४२२ सम्यग्दृष्टिसदनुष्ठानप्रकाशनम् ....................... २४३२ सायो सा५ तो प्रशांत भने त डोय ......... २४२२ | अमृतमनुहाननी प्रारंभ ...................... २४३२ निर्मात्मपरितिस्प३५ गुनो प्रादुर्भाव.... २४२२ सम्यग्दृष्टेः शुद्धानुष्ठानम् .............
२४३३ ग्रन्थिभेदपूर्वमपि संसारपरित्तीकरणम् ............... २४२३ | समारताने सहा शुद्ध अनुहान !
.२४३३ संसार परिभित थाय छे........................ २४२३ અપાયશક્તિમાલિન્ય + અવિદ્યાશ્રય सर्व भां शिवशन .......
२४२३
रवाना थायछ .................... २४३३ छायम-प्रवृत्तियमनी ५२॥18............. २४२३ सम्यग्दृष्टेः ज्ञानधारा सदा शुद्धा ....................२४३४ चरमयथाप्रवृत्तकरणदिव्यशक्ति
समरिता पोताना सिद्धपयिनी उपेक्षा न ४३ ..... २४३४ प्रभावप्रतिपादनम् . ...........२४२४ । भोगसंस्काराऽतिक्रमणम् ........................ २४३५ शुभ-अशुभ द्रव्याहिम समता .................. २४२४ | THAT५६न्यास ........
.... २४३५ नैश्चयि य२५ यथावृत्त४२५॥नो प्रर्ष ........... २४२४ યોગસિદ્ધિફળની પ્રાપ્તિ .. ...................... २४३५ हेतु-स्वरूप-फलद्वारेण अपूर्वकरणनिरूपणम् ........ २४२५ | | भोगयेष्टा शरमन .......................... २४३५ અપૂર્વકરણમાં ગ્રંથિભેદ
२४२५ स्थिरायां कामभोगस्वरूपमीमांसा ................. .२४३६ આત્મસાક્ષાત્કારનો પરિચય .
| मात्र शानयोत पारमार्थि .................... २४३६
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