Book Title: Dravya Gun Paryayno Ras Dravyanuyog Paramarsh Part 07
Author(s): Yashovijay
Publisher: Shreyaskar Andheri Gujarati Jain Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 18
________________ २४०० ..... २४०१ २४०१ २४०२ ............ २४११ •विषयमार्गदर्शि. વિષય પૃષ્ઠ વિષય પૃષ્ઠ परिभुमा यित्तवृत्तिना पानी ॥ 4211मे .... २३९९ | साइष्टिम भागानुसारितानो पर्ष . ........... २४०८ सद्योगाऽवञ्चकयोगसामर्थ्यप्रकाशनम् .................२४०० मात्माथाभावे शुद्ध शाखने मारी............ २४०८ सहयोगशय योगथा सरुसमागम ........... भोक्षशास्त्रक्यनोनी भारी ............... २४०८ मोघष्टिछोडी, योगष्टि भेगवीमे ........... २४०० | परद्रव्यसंसर्गेऽपि परस्वभावाऽपरिग्रहः २४०९ संशुद्धयोगबीजवपनम. २४०१ अपरोक्षस्वानुभूतिप्रणिधानदायम् ................. २४१० યોગબીજવાવણી, પ્રીતિઅનુષ્ઠાન, मात्मभान सतत सर्वत्र वीमे ...............२४१० अध्यात्मयोगनी स्पर्शना............ विषयवै२।२यनी दृढता ..................... २४१० त्रिवि५ संसार तु७-मसार-अनर्थरी ...... मोक्षसाधकानुष्ठानतीव्ररागप्रादुर्भावः ................. २४११ संसाराऽभिरतित्यागः .. साधनामा यित्तस्थिरताने साधीमे ................ २४११ भवभएन। २५uहिने विद्यारी.... २४०२ सिष्ट यित्तनो साम.......... २४११ ભાવના યોગની સ્પર્શના ..... २४०२ માર્ગાનુસારી બુદ્ધિનો પ્રભાવ.. ................ २४११ स्वरूपयोग्यतायाः सहकारियोग्यता प्रीति अनुठाननी प्र........................ रूपेण परिणमनम् ...................... २४०३ बलायां सदनुष्ठानलक्षणसद्भावः .................... २४१२ शु धन भंगलाय२५ रीमे................. २४०३ | विषयप्रतिमास शानना quu ul............. २४१२ मित्रा-ताराष्टिम भागमभुमताना मढार संत.. २४०३ | मामशाननो भविमाव.. ...... २४१२ भवबालदशानिवृत्तिः . ........ २४०४ योगपूर्वसेवा विशुद्धतर ......... . २४१२ કદાગ્રહ-સહજમળ-ભવાભિનંદીદશા सुखासनसिद्धिः. ......... २४१३ वगैरेनी विहाय......... .......... २४०४ | अघाउने विहाय मापामे ................. २४१३ मित्रा-राष्टिना गुरावैभवने निजीमे ....... २४०४ | भव्यत सामायि-समापिनी प्रति ............. २४१३ कर्मप्रकृत्यधिकारनिवृत्तिः ... ............................. २४०५ | निजस्वरूपविश्रान्तिः ............ २४१४ पोताना ४ निर्मणस्१३५ना साथी 21280 ..... २४०५ । | प्राष्टिम भापतित ६शानी 31s .......... . २४१४ ॥५५॥ मामाने संभाजी ................... २४०५ । | HiddRs भोक्षभानो प्रादुर्भाव................ २४१४ अंतरात्मा 311२ थायछ .................. २४०५ | प्रकृट विषयवै२।२यनी लि .................... २४१४ खेदोद्वेगदोषनिवृत्तिः ............ २४०६ | धर्मकर्ममर्मज्ञतालाभ: २४१५ તાત્ત્વિક આત્મજિજ્ઞાસાનો પ્રાદુર્ભાવ . ............ ૨૪૦૬ | ભવાભિનંદી દશાની વિદાય २४१५ તહેતુ અનુષ્ઠાનનો પ્રારંભ. ................. २४०६ | ચિંતામય જ્ઞાનની પ્રાપ્તિ .. २४१५ विक्षित यित्तनो वाम............. २४०६ योगधर्माधिकारिप्रवृत्तिप्रतिपादनम् ................. २४१६ “યાતાયાત’ ચિત્તનો પણ લાભ ....... २४०६ त्रिवि५ प्रत्यय मु४५ सानुबंध सापना ........... २४१६ मित्रा-तारादृष्टिप्रकर्षः ........... यो।पन। साया मपिडारी बनाये .............. २४१६ भागात्मिभुमशासूय शाखसंह ...... २४०७ सम्यग्दर्शनादिनिमित्तोपदर्शनम् . ....................... २४१७ परीक्षाचतुष्टयपरीक्षितशास्त्रपरामर्शः .. | सभ्यशन भेजतेर गुने परिमावीमे .... २४१७ .......... ................

Loading...

Page Navigation
1 ... 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 ... 524