Book Title: Devta Murti Prakaran Author(s): Vinaysagar, Bhagvandas Jain, Rima Jain Publisher: Prakrit Bharati AcademyPage 97
________________ देवतामूर्ति-प्रकरणम् । की दृष्टि रखना शुभ है। देहली के ऊपर एक, तीन, पाँच इत्यादि तेईस भाग तक विषम भाग में शिवलिंग का बुद्धिमान् स्थापन करे। २५ वें भाग में मुख लिंग की दृष्टि रखना, २७ वें भाग में जलशायी (शेषशायी) की, २९ वें भाग में कुबेर की, ३१ वें भाग में सात मातृदेवियों की, ३३ वें भाग में यक्ष देवों की, ३५ वें भाग में वराह की, ३७ वें भाग में उमा-महेश्वर की, ३९ वें भाग में बुद्ध देव की, ४१ वें भाग में सावित्री युक्त ब्रह्मा की, ४३ वें भाग में दुर्वासा, नारद और अगस्त्य आदि ऋषियों की, ४५ वें भाग में लक्ष्मी नारायण की, ४७ वें भाग में विधाता की, ४९ वें भाग में सरस्वती की, शारदा के भाग में गणेश की, ५१ वें भाग में कमलासन की, ५३ वें भाग में हरसिद्धियों की, ५५ वें भाग में ब्रह्मा, विष्णु और जिनदेव की, ५७ वें भाग में रौद्री देवी की, ५९ वें भाग में चण्डी देवी की, ६१ वें भाग में भैरवी देवी या भैरव की, ६३ वें भाग में वेताल. की, इस क्रम से देवों की दृष्टि रखना चाहिये। ६४ वें भाग में किसी भी देव की दृष्टि नहीं रखना चाहिये। (The line of vision of the images of various deities is important). The elevation of the doorway should be divided into 8 portions, and each portion further divided into 8 parts. This will yield a total of 64 portions. It is auspicious if the line of vision of images are on odd-numbered parts of these 64 portions. (9): From the threshold upwards, upto 23 parts, (using the portions in odd numbers from 1 onwards – i.e., 1, 3, 5, 7, etc.), are used by the wise for positioning a Siva-linga. (10). The line of vision from a Mukha-linga should be on the 25th portion and of a Jalashạyin (Vishnu) statue on the 27th portion. Kuber should look at the 29th part, and the mother-goddesses at the 31st. (11). Yakshas should keep their line of vision on the 33rd part, a Varah statue on the 35th, Uma-Maheshwar on the 37th and a Buddha idol on the 39th. (12). A statue of Brahma accompanied by Savitri should look at the 41st portion (of the 64 divisions), and images of sages like Durvasa, Narada, Agastya and others at the 43rd portion. (13). The 45th portion is the line of vision of Lakshmi-Narayan, the 47th of the Creator, Brahma, and 49th of Saraswati. (14).Page Navigation
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