Book Title: Devta Murti Prakaran
Author(s): Vinaysagar, Bhagvandas Jain, Rima Jain
Publisher: Prakrit Bharati Academy

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Page 298
________________ 262 देवतामूर्ति-प्रकरणम् बारह सरस्वती देवी एकवक्त्रा: चतुर्भुजा मुकुटेन विराजिताः। प्रभामण्डलसंयुक्ताः कुण्डलान्वितशेखराः ॥८३ ॥ इति सरस्वतीनां साधारणलक्षणम्। बारह सरस्वती देवी एक मुख वाली, चार भुजा वाली, मस्तक पर मुकुट धारण करने वाली, प्रभामंडल से युक्त और कुंडलों से शोभायमान शिरोभूषण वाली हैं। The twelve Saraswati goddesses each have one face and four arms. Tiaras crown their forcheads. They are encircled by : haloes of light (prablia-mandala), and adorned by kundala ear-ornaments and other jewellery and signs of lustre. These are the Saraswatis. १. महाविद्या देवी अक्षं पद्मं वीणा-पुस्तकं महाविद्या प्रकीर्तिता । महाविद्या नाम को सरस्वती देवी अपनी चारों गुजाओं में क्रम से माला, कमल, वीणा और पुस्तक को धारण करती है। (i) Mahavidya = The glorious Mahavidya (thc first of the Saraswatis), posscsses a rosary, a lotus, a Veena (stringed musical instrument), and a book. (84a). . २. महावाणी देवी-- अक्षं पुस्तकं वीणा पद्मं महावाणी च नामतः ॥८४॥ . महावाणी नाम की सरस्वती देवी अपनी चारों भुजाओं में माला, पुस्तक, वीणा और कमल को धारण करती है। (ii) Mahavani = With a rosary, a book, the Veena and lotus (in the order cited) in her four respective hands is the Saraswati named Mahavani. (84).

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