Book Title: Devta Murti Prakaran
Author(s): Vinaysagar, Bhagvandas Jain, Rima Jain
Publisher: Prakrit Bharati Academy

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Page 310
________________ 272 . . देवतामूर्ति-प्रकरणम् महालक्ष्मी देवी क्षेत्रे कोल्लापुरादन्ये महालक्ष्मीर्यदार्च्यते। लक्ष्मीवत् सा तदा कार्या रूपाभरणभूषिता ॥१११ ॥ दक्षिणाधाकरे पात्रमूचे कौमोदकी भवेत् । वामार्धे खेटकं धत्ते श्रीफलं तदधःकरे ॥११२ ॥ कोल्लापुर से अन्य स्थल में महालक्ष्मी का पूजन किया जाय तो लक्ष्मी देवी के स्वरूप जैसी स्वरूप वाली और सब आभूषणों से शोभायमान करना। दाहिने नीचे के हाथ में पानपात्र और ऊपर के हाथ में गदा, तथा. बाँये ऊपर के हाथ में ढालं और नीचे के हाथ में श्रीफल है। Mahalakshmi In any other place besides Kolhapur, where Mahalakshmi is being worshipped, make the idol like Lakshmi - beautiful in appearance and adorned with all kinds of jewllery. (111). In Mahalakshmi's lower right hand is a patram and in her upper one the Kaumodaki mace (symbol of Vishnu): while in her : upper left hand is a shield and in the lower Shriphala fruit. (112). कात्यायनी देवी कात्यायन्या: प्रवक्ष्यामि रूपं दशभुजं तथा। त्रयाणामपि देवानामनुकारानुरूपिणीम् ॥११३ ॥ जटाजूटसमायुक्तां मध्येन्दुकृतलक्षणाम्। लोचनत्रयसंयुक्तां पद्मेन्दुसदृशाननाम् ॥११४ ॥ अतसीपुष्पवर्णाभां सुप्रतिष्ठां सुलोचनाम् । नवयौवनसंयुक्तां सर्वाभरणभूषिताम् ॥११५ ॥ सुचारुवदनां तद्वत् पीनोन्नतपयोधराम् ।

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