Book Title: Devta Murti Prakaran
Author(s): Vinaysagar, Bhagvandas Jain, Rima Jain
Publisher: Prakrit Bharati Academy

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Page 295
________________ 259 देवतामूर्ति-प्रकरणम् 259 वरदा दण्डिनी खड्गं बिभ्रती दक्षिणे सदा। . खेटपाशाभयैर्वामे सैव चापि लसद् भुजा ॥७३॥ वाराही देवी कृष्ण वर्ण वाली, सूअर के मुख वाली और बड़े पेट वाली है। वह दाहिनी तीन भुजाओं में वरद, दण्ड और खड्ग को तथा बाँयी तीन भुजाओं में ढाल, पाश और अभय को धारण करती है। (v) Varahi is blue-black in colour, with a visage like a boar and a large stomach (72). She has her lowermost right hand in the Varad position of blessings and possesses a danda and a sword in her other two right hands. Her three left hands are adorned by a shield, a noose and the Abhay mode, respectively. Such is the shining-armed Varahi (73). ६. ऐन्द्री (इन्द्राणी) देवी ऐन्द्री . सहस्रदृक्सौम्या हेमामा गजसंस्थिता। वरदा सूत्रिणी वज्रं बिभ्रत्यूर्वे तु दक्षिणे ॥७४ ॥ वामे तु कलशं पात्रमभयं तदध:करे। ऐन्द्री देवी हजार नेत्रों वाली, शान्त प्रकृति वाली, सुवर्ण वर्ण वाली और हाथी की सवारी करने वाली है। वह दाहिनी तीन भुजाओं में वरद, भाला और ...वज्र को तथा वाम तीन भुजाओं में कलश, पात्र और अभय को धारण करती (vi) Aindri (Indrani) has a thousand eyes. She is of a peaceful disposition. She has the radiance of gold and is seated on an elephant. Aindri has one right hand in the Varad mode and possesses a sutrini (rosary) and a thunderbolt in the other two (74). Two of her left hands hold a kalash pot and a patra (vessel) respectively, while the third is in the Abhay modc. (75a). ७. चामुण्डा देवी चामुण्डा प्रेतगा रक्ता विकृतास्याहिभूषणा ॥७५ ॥ दंष्ट्रला क्षीणदेहा च गर्ताक्षी भीमरूपिणी ।

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