Book Title: Devta Murti Prakaran
Author(s): Vinaysagar, Bhagvandas Jain, Rima Jain
Publisher: Prakrit Bharati Academy

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Page 293
________________ देवतामूर्ति-प्रकरणम् vessel (ic. a mendicant's bowl), with the third hand in the Abhay position. Such is Brahmi. ( 66a). २. माहेश्वरी देवी 257 माहेश्वरी वृषारूढा पञ्चवक्त्रा त्रिलोचना ॥ ६६ ॥ बालेन्दु भृज्जटाजूट- सुशोभा सर्वसौख्यदा । . षड्भुजा वरदा दक्षे सूत्रं डमरुकं तथा ॥ ६७ ॥ शूलं घण्टाभयं वामे सैव धत्ते महाभुजा । माहेश्वरी देवी वृषभ की सवारी करने वाली, तीन-तीन नेत्र वाली, पाँच मुख वाली, बाल चन्द्रमा युक्त जटा वाली, अच्छी शोभायमान, सब प्रकार के सुख देने वाली और महान छः भुजा वाली है। दाहिनी तीन भुजाओं में वरद मुद्रा, अक्षमाला और डमरु हैं, तथा वाम तीन भुजाओं में त्रिशूल, घण्टा और अभय को धारण करती है। (ii) Maheshwari rides a bull. She has five faces, cach with three eyes (66). Her matted jata locks are adorned with the crescent moon. The beautiful goddess, who is full of lustre, grants happiness. The six-armed Maheshwari has one right hand (the lowermost) in the Varad position and possesses a sutra and the damroodrum in her other two right hands. ( 67 ). Two of her left hands hold a shula (trident) and a bell respectively, while the third is in the Abhay mode. Such is the all-powerful mighty-armed Maheshwari. (68a). ३. कौमारी देवी कौमारी रक्तवर्णा स्यात् षड्वक्त्रा सार्कलोचना ॥६८ ॥ रविबाहुर्मयूरस्था वरदा शक्तिधारिणी । - पताका बिभ्रती दण्डं पाशं बाणं च दक्षिणे ॥६९ ॥

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