Book Title: Devta Murti Prakaran
Author(s): Vinaysagar, Bhagvandas Jain, Rima Jain
Publisher: Prakrit Bharati Academy

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Page 291
________________ देवतामूर्ति-प्रकरणम् हरसिद्धिस्तदा नाम सर्वस्य सिद्धिहेतवे ॥६० ॥ इति नव दुर्गाः॥ कमण्डलु, खड़ग, डमरु और पानपात्र को धारण करने वाली हरसिद्धि नाम की देवी है, वह सब की सिद्धि के लिये हैं। (ix) Harasiddhi =- Possessing a kamandalu, a sword, the damroo drum and a panapatram is the auspicious Harasiddhi, who is worshipped for the attainment of the siddhis (all accomplishments). (60). : These are the Nine Durga goddesses. गौरी लीला और दुर्गा देवियों के वाहन गोधासना भवेद् गौरी लीला स्याद् हंसवाहना। दुर्गा सिंहवाहनोक्ता कर्त्तव्या सर्वकामदा ॥६१ ॥ बारह गौरी देवियों का वाहन गोह का है। पाँच लीला देवी का वाहन हंस का है और नव दुर्गा देवी का वाहन सिंह का है। ये सर्व देवियां सब इच्छित फल देने वाली हैं। The twelve Gauri goddesses are seated on godhas (iguana/?alligator) and the five Leela goddesses on swans; while the nine Durgas use lions for their vahanas (vehicles or mounts). This is the manner in which they ought to be depicted. They fulfill all desires. (61). • क्षेत्रपाल का स्वरूप क्षेत्रपालो विधातव्यो दिग्वासा घण्टभूषितः । कर्तिकां डमरुं बिभ्रद् दक्षिणे तु करद्वये ॥२॥ वामे शूलं कपालं च मुण्डमालोपवीतकः । करोटिनिकरोदारमालाग्रन्थित शेखरः। ह्रस्वहस्तो महोरस्कः सर्पग्रंथितशेखरः ॥६३ ॥२ 1. मु. ६१ वां पद्य नहीं है। 2. मु. अर्धश्लोक नहीं है।

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