Book Title: Devta Murti Prakaran
Author(s): Vinaysagar, Bhagvandas Jain, Rima Jain
Publisher: Prakrit Bharati Academy

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Page 289
________________ देवतामूर्ति-प्रकरणम् 253 ३. क्षेमंकरी देवी वरदं त्रिशूलं पद्म पानपात्रं विधृत्करे। क्षेमंकरी तथा नाम क्षेमारोग्यप्रदायिनी ॥५४॥ वरदान, त्रिशूल, पद्म और पानपात्र हाथों में धारण करने वाली क्षेमकरी नाम की देवी है, वह कल्याण और आरोग्य करने वाली है। (iii) Kshemankari = With one hand in the Varad position, and a trident, a lotus and a panapatram in the other three is the goddess called Kshemankari. She bestows peace and well-being (kshema), as well as good health and freedom from sickness. (54). ४. सर्वती देवी- . . कमण्डलुं चक्रखेटं पानपात्रं तथोत्तमम्।। सर्वती च तदा नाम सर्वसिद्धिप्रदायिनी ॥५५॥ कमण्डलु, चक्र, ढाल और पानपात्र को धारण करने वाली सर्वती नाम की देवी है, वह सब सिद्धियों को देने वाली है। (iv) Sarvati =Sarvati possesses a kamandalu, a disc (chakra,) • a shield and panapatram. She bestows all the accomplishments and perfection -- the siddhis. (55). • ५. महरण्डा देवी खड्गं तथा त्रिशूलं च घण्टापात्रं तथोन्नतम्। महरण्डा तथा नाम वन्दिता त्रिदशैरपि ॥५६ ॥ खड्ग, त्रिशूल, घण्टा और पानपात्र को धारण करने वाली महरण्डा नाम की देवी है, वह देवताओं से वंदनीय है। (v) Maharanda = With a sword, a trident, a bell and a patram vesscl in her hands is the goddess Maharanda, venerated by the very gods themselves. (56).

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