Book Title: Devta Murti Prakaran
Author(s): Vinaysagar, Bhagvandas Jain, Rima Jain
Publisher: Prakrit Bharati Academy

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Page 290
________________ 254 देवतामूर्ति-प्रकरणम् ६. भ्रमणी देवी - खड्ग डमरुखेटपाशं बिभ्रती च करोतमैः । भ्रामणी च तदा नाम भ्रामयेद् दुष्टचेतसः ॥५७ ॥ खड़ा, डमरु, ढाल और पाश को उत्तम भुजाओं में धारण करने वाली . भ्रागणी नाम की देवी है, वह दुष्टों को भ्रम करने वाली है। (vi) Bhramari = Bhramani holds a sword, the damroo drum, . a shield and a noose in her hands. She confounds, deludes and confuses the wicked. (57). ७. सर्वगंगला देवी अक्षसूत्रं तथा वज्रं घण्टापात्रं तथोत्तमम्।। सर्वमंगला मङ्गल्या सर्वविघ्नविनाशिनी ॥५८ ॥ अक्षमाला, वज्र, घण्टा और पानपात्र को धारण करने वाली सर्वमंगला नाम की देवी है। वह मंगल करने वाली व सब विघ्नों का विनाश करने वाली है। (vii) Sarvamangala = Sarvamangala has a rosary, a thunderbolt, a bell and a patram in her hands: She bestows good ... fortune and resolves all manners of obstructions. (58). ८. रेवती देवी दण्डं त्रिशूलं खट्वाङ्गं पानपात्रं च बिभ्रती। रेवती च तदा नाम सर्वशान्तिप्रदायिनी ॥५९ ॥ दण्ड, त्रिशूल, खट्वाङ्ग और पानपात्र को धारण करने वाली रेवती नाम की देवी है, वह सब प्रकार से शान्तिदायक है। (viii) Revati = Holding a danda, a trident, the khatvanga club and a panapatram (or goblet) is the goddess known as Revati. She bestows peace everywhere. (59). ९. हरसिद्धिदेवी कमण्डलुं खङ्गडमरूं पानपात्रं तथा शुभम् ।

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