Book Title: Devta Murti Prakaran
Author(s): Vinaysagar, Bhagvandas Jain, Rima Jain
Publisher: Prakrit Bharati Academy

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Page 294
________________ 258 देवतामूर्ति-प्रकरणम् वामे चापमथो घण्टां कमलं कुक्कुटं त्वधः । . परशुं बिभ्रती दक्षे तदधस्त्वभयान्विता ॥७० ॥ कौमारी देवी लाल वर्ण वाली, छः मुख वाली, बारह नेत्र और बारह भुजा वाली और मोर की सवारी करने वाली है। उसकी दाहिनी छ: भुजाओं में क्रम से वरद मुद्रा, शक्ति, पताका, दण्ड, पाश और बाण हैं, वाम छ: भुजाओं में धनुष, घण्टा, कमल, मुरगा के आकार का शस्त्र, फरसा और अभय है। .. (iii) Kaumari is blood-red in colour, with six faces and twelve eyes (68). She has twelve arms and rides on a peacock. Of her six right hands, the lowermost is in the Varad pose while the other five passess the Shakti weapon, a banner, danda, a.. noose and an arrow, respectively (69). Her six left hands hold a bow, a bell, a lotus, the kukkuta (cock) and an axe, with the lowermost hand in the Abhay mode.(70). . . ४. वैष्णवी देवी वैष्णवी ताjगा श्यामा षड्भुजा वनमालिनी । वरदा गदिनी दक्षे दधती चायुधस्रजम् ॥७१ ॥ शङ्खचक्राभयैर्वामे सा चैव विलसद्भुजा। वैष्णवी देवी गरुड की सवारी करने वाली, कृष्ण वर्ण की और छ: भुजा वाली है। उसकी दाहिनी तीन भुजाओं में वनमाला, वरद मुद्रा और ग़दा है। वाम तीन भुजाओं में शङ्ख, चक्र और अभय से शोभायमान है। (iv) Vaishnavi is seated on Taksharya (Garuda). She is dark in colour and has six arms. Her three right hands hold a vanamala (garland of forest-flowers), the Varad position and a macc as attributes (ayudhas) (71), while her three left hands hold a conchshell, a disc and the Abhay pose. Such is the resplendent-armed Vaishnavi. (72a). ५. वाराही देवी कृष्णवर्णा तु वाराही शूकरास्या महोदरा ॥७२॥ .

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