Book Title: Devta Murti Prakaran
Author(s): Vinaysagar, Bhagvandas Jain, Rima Jain
Publisher: Prakrit Bharati Academy

Previous | Next

Page 212
________________ 176 देवतामूर्ति-प्रकरणम् तिथि लाने का प्रकार तुङ्गमष्टगुणं कृत्वा तिथिभिर्हरणात् ततः । शेषं च तिथयः सम्यग् रिक्ता पर्वविवर्जिताः ॥ ९५ ॥ . प्रासाद या शिवलिङ्ग को आठ से गुणा करके पंद्रह से भाग देना. जो. शेष बचे वह तिथि जानना। उनमें रिक्ता (४-९-१४) तिथि को छोड़कर बाकी तिथि शुभ हैं। If the elevation/height is multiplied by cight and the result divided by fifteen, the remainder should be considered to be the dates. Of these, the inauspicious dates are the 4th, 9th and 14th days of a lunar fortnight. (95). शिवलिङ्ग के शुभ चिह्न और शुभ रेखा पद्मं शङ्ख ध्वजं छत्रं खड्ग: स्वस्तिक चामरे। वज्रं दण्डार्द्धचन्द्रौ गौश्चक्रं मत्स्यो घटः शुभाः ॥ ९६ ॥ सौख्यदं चिह्नमित्याद्यमावर्तो दक्षिणं हि य:। रक्तश्वेतपीतकृष्णारेखा-वर्णेषु सौख्यदा ॥ ९७ ॥ कमल, शङ्ख, ध्वज, छत्र, तलवार, स्वास्तिक, चामर, दण्ड, अर्द्धचंद्र, गो, चक्र, मछली और कलश ये चिह्न शिवलिंग पर होते हैं तो शुभकारक है। तथा शिवलिङ्ग पर दक्षिण आवर्त हो तो शुभ हैं। लाल, सफेद, पीली और कृष्ण रंग की रेखा हो तो वह शिवलिङ्ग अनुक्रम से ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शुद्र वर्गों के लिये शुभदायक है। Symbols which are auspicious on Siva-lingas are a lotus, a conchshell, a flag, an umbrella, a sword, the swastik, the chamar (or chowrie-the bushy tail of the Chamara (Bos grunniens) used as a fan, and believed to be one of the insignia of royalty), a thunderbolt or vajra mace, the danda rod, a half-moon or crescent moon, a Gau-Chakra, a fish and a water-pitcher. (96). 1. मु च चक्रमत्स्यौ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318