Book Title: Devta Murti Prakaran
Author(s): Vinaysagar, Bhagvandas Jain, Rima Jain
Publisher: Prakrit Bharati Academy

Previous | Next

Page 249
________________ देवतामूर्ति-प्रकरणम् 213 कालिका नाम की यक्षिणी श्याम वर्ण वाली, कमल के आसन वाली और चार भुजा वाली है। भुजाओं में वरद, पाश, अङ्कुश और नाग को धारण करती है। सृष्टि मार्ग से अर्थात् दाहिने नीचे के हाथ से क्रमशः शस्त्र धारण करती है। _Kalika, the dark-complexioned yakshini, is seated on a lotus. She has four arms. The lower right hand is in the Varad (blessing) mode, the upper right holds a noose, the upper left a goad and the lower left a Naga snake. This order, of right to left, is in the order of creation-Shrishti. (25). ५. तुंबुरु यक्ष तार्क्ष्यस्थं तुम्बुरुं श्वेतं सुमतौ तु चतुर्भुजम् । वरदं च तथा शक्ति-नागपाशं गदाधरं ॥२६ ॥ पाँचवें सुमतिनाथ भगवान का तुंबुरु नाम का यक्ष है, वह सफेद वर्ण का, गरुड़ की सवारी करने वाला है, चार भुजाओं में क्रमशः वरद, शक्ति, नागपाश और गदा को धारण करता है। The attendant yaksha of Lord Sumati is the four-armed Tumburu. White in colour, Tumburu rides on Garuda. One of his four hands is in the Varad (blessing) position while the other three hold the Shakti weapon, a Nagapasha (a magical noose-weapon), and a mace. (26). ५. महाकाली देवी महाकाली हेमवर्णा पद्मारूढा चतुर्भुजा। वरदं नागपाशं चांकुशं स्याद् बीजपूरकम् ॥२७॥ महाकाली नाम की यक्षिणी सुवर्ण वाली और कमल के आसन वाली है। चार भुजाओं में क्रमशः वरदमुद्रा, नागपाश, अङ्कुश और बीजोरा को धारण करती है। Golden-coloured Mahakali, the accompanying yakshini, is seated on a lotus. One of her four hands is held in the Varad mode. The remaining three possess the Nagapasha weapon, a goad and a citron, respectively. (27).

Loading...

Page Navigation
1 ... 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318