Book Title: Devta Murti Prakaran
Author(s): Vinaysagar, Bhagvandas Jain, Rima Jain
Publisher: Prakrit Bharati Academy

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Page 247
________________ देवतामूर्ति-प्रकरणम् 211 २. महायक्ष अजितस्य महायशो 'हस्त्यारूढश्चतुर्मुखः । 'वरमुद्गराक्षपाशांकुंशशक्त्यभयानि बीजपूरं च ॥२०॥ दूसरे अजितनाथ भगवान का महायक्ष नाम का यक्ष है। वह हाथी की सवारी करने वाला और चार मुख वाला है। आठ भुजाओं में वरद, मुद्गर, माला, पाश, अड्डश, शक्ति, अभय और बीजोरा को धारण करता है। Mahayaksha is Lord Ajit's attendant yaksha. He rides an elephant and has four faces. He holds one hand in the Vara (blessing) position, and has a mudgar (club), a rosary, a noose, a goad, the Shakti weapon, one hand held up in the Abhay mode, and a citron respectively in the other seven hands. (20). २. अजितबला देवी चतुर्भुजा गौरवर्णा गोधारुढापराजिता। वरं चैव तथा पाशमकुंशं बीजपूरकम् ॥२१॥ दूसरी अजिता देवी चार भुजा वाली, गौर वर्ण वाली, गोधा (गोर) की संवारी करने वाली है। भुजाओं में वरद, पाश, अङ्कुश और बीजोरा है। • Ajitbala, the accompanying yakshini, possesses four arms. She is white in colour and rides a godha (an iguana/crocodile/ Gangetic alligator). One hand is in the Vara position of conferring blessings, and the other three possess a noose, a goad and a citron, respectively. (21). ३. त्रिमुख यक्ष सम्भवे त्रिमुखो यक्ष: श्यामो मयूरवाहनः । नकुल-गदाभयाक्षं नागं च बीजपूरकम् ॥२२॥ तीसरे संभवनाथ भगवान का त्रिमुख नाम का यक्ष है। वह तीन मुख वाला कृष्ण वर्ण का और मोर की सवारी करने वाला है, छ: भुजाओं में न्योला, 1. 2. मु. हंसाठूढो। मु. वरमुद्गराशनि

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