Book Title: Devta Murti Prakaran
Author(s): Vinaysagar, Bhagvandas Jain, Rima Jain
Publisher: Prakrit Bharati Academy

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Page 277
________________ देवतामूर्ति-प्रकरणम् अभयं शंखपद्मदण्डं मोहिनी नाम वामतः । सव्यापसव्ययोगेन सा भवेत् स्तम्भिनी तथा ॥ २० ॥ अभय, शङ्ख, पद्म और दण्ड को बाँये क्रम से धारण करने वाली मोहिनी नाम की द्वारपालिका उत्तर द्वार की बाँयी ओर स्थापना और उक्त शस्त्रों को दाहिने क्रम से धारण करने वाली स्तंभिनी नाम की द्वारपालिका उत्तर द्वार की दाहिनी ओर स्थापना । With one hand raised in the Abhay mode and a conchshell, a lotus and a danda in her other three hands, is Mohini, who guards the left side of the northern door. To the right of the door is the place of Stambhini, who possesses the same attributes as Mohini but in a reversed order. (20). जया च विजया चैव अजिता चापराजिता । विभक्ता मङ्गला गौर्याऽऽयतने शस्ताश्च सृष्ट्यष्टौ 241 चैव मोहिनी स्तम्भिनी तथा । द्वारपालिकाः ॥ २१ ॥ इति गौर्याः प्रतीहाराः । जया, विजया, अजिता, अपराजिता, विभक्ता, मंगला, मोहिनी और स्तम्भिनी ये आठ द्वारपालिका गौरी देवी के आयतन (मंदिर) में पूर्वादि सृष्टि क्रम से स्थापना करना । गणेश देव 1. 2. Jaya and Vijaya, Ajita and Aparajita, Vibhakta and Mangala, and Mohini and Stambhini-these eight auspicious dvarpalikas of . a Gauri shrine should be installed as described. ( 21 ). मु. अष्ट स्युः । मु. दण्डं । दन्तं च परशुं पद्मं मोदकं च गजाननम् । गणेशं मूषकारूढं सिद्धिदं सर्वकामदम् ॥२२ ॥ हाथी दाँत, परसा, कमल और लड्ड को धारण करने वाला, हाथी के मुख

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