Book Title: Devta Murti Prakaran
Author(s): Vinaysagar, Bhagvandas Jain, Rima Jain
Publisher: Prakrit Bharati Academy

Previous | Next

Page 281
________________ 245 देवतामूर्ति-प्रकरणम् शशिमौलिस्त्रिनेत्रश्च रक्त: क्षिप्रगणाधिपः ॥३०॥ - पाश, अङ्कश, कल्पलता और भंग (दाँत) को भुजाओं में क्रम से धारण करने वाला, मुकुट में चन्द्रमा धारण करने वाला, तीन नेत्र वाला और लाल रंग वाला क्षिप्र गणपति है। (viii) Kshipra-Ganadhipa= The Kshipra-Ganapati form possess a noose, a goad, the Kalpa-lata crceper which grants all wishes and a broken tusk (bhagna-danta or Bhringa) in his hands. His crown is ornamented by the moon. The three-eyed lord is the colour of blood. Such is Kshipra-Ganadhipa. (30). गणेश आयतन वामाङ्गे गजकर्णं तु सिद्धिं दद्याच्च दक्षिणे। पृष्टिकणे तथा द्वौ च धूम्रको बालचन्द्रमाः ॥३१॥ उत्तरे तु सदा गौरी याम्ये चैव सरस्वती। • पश्चिमे यक्षराजश्च बुद्धिः पूर्वे सुसंस्थिता ॥३२ ॥ ..गणेश के आयतन में वाम भाग में (ईशान में) गजकर्ण देव, दक्षिण भाग (अग्नि कोण) में सिद्धि देवी, नैर्ऋत्य और वायव्य कोने में धूम्रक और बालचन्द्रमा, 'उत्तर दिशा में गौरी देवी, दक्षिण में सरस्वती देवी, पश्चिम में यक्षराज कुबेर और पूर्व में बुद्धि देवी की स्थापना करना । . In a Ganesh shrine the relative positions of various deities should be as follows :- To the left install Gajakarna and to the right Siddhi-devi. Place Dhumraka and Balachandrama at the two corners behind (i.e. at the rear of) the main idol. (31). The idol of the goddess Gauri should be installed in the the northern direction and of Saraswati in the southern. Yaksharaja __ *. ____1. The Shilpa-Ratna lists a beejpuraka or citron as the fourth attribute. मु. ३१ वां पद्य नहीं है, रूपमण्डन में है।

Loading...

Page Navigation
1 ... 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318