Book Title: Devta Murti Prakaran
Author(s): Vinaysagar, Bhagvandas Jain, Rima Jain
Publisher: Prakrit Bharati Academy

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Page 280
________________ 244 देवतामूर्ति-प्रकरणम् as his sacred 'Upavitam' thread. In his hands are a broken tusk (bhagn-danta), a rosary, an axc and a modakam sweet respectively. (27). ६. बीज गणपति सिन्दूराभस्त्रिनेत्रं च प्रोक्तो बीजगणाधिपः। दण्डपाशांकुशं बीज-पूरं बिभ्रत् करेषु च ॥२८॥. सिन्दूर के वर्ण वाला, तीन नेत्र वाला, भुजाओं में क्रम से दण्ड, पाश, अङ्कुश और बीजोरा को धारण करने वाला बीज गणपति है। (vi) Beej-Ganadhipa = This form of Ganesh is the colour of vermillion (sindhoor). He has three eyes and posseses a danda, a noose, a goad and a citron in his four hands. (28). ७. हेरंबग्रहिलता गणेश सिन्दूराभं त्रिनेत्रं च अभयं मोदकं तथा। , टहू-शरोक्षमालां च मुद्गरं चांकुशं तथा। त्रिशूलं चेति हस्तेषु दधानं कुन्दवत् सितम् ॥२९॥ सिन्दूर वर्ण वाला, तीन नेत्र वाला, भुजाओं में क्रम से अभय, लड्डु, फरसा, बाण, अक्षमाला, मुद्र, अङ्कुश और त्रिशूल को धारण करने वाला और कुन्द पुष्प की जैसे सफेद कान्ति वाला हेरंब पहिलता नाम का गणेश है। . . (vii) Hairambagrahilata Ganesh = The vermillion (sindhoor) coloured, three-eyed lord holds one hand in the Abhay pose and possesses a modakam, an axc (tangku), an arrow, a rosary; a mudgar (club), a goad and a trident (trishula) in his other seven hands. His brilliance is like that of the delicate, white, Kunda jasmine. Such is Hairambagrahilata. (29). ८. क्षिप्र गणपति पाशांकुशौ कल्पलतां भृङ्गं बिभ्रत् करेषु च । 1. मु. २८ वां पद्य नहीं है।

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