Book Title: Devta Murti Prakaran
Author(s): Vinaysagar, Bhagvandas Jain, Rima Jain
Publisher: Prakrit Bharati Academy

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Page 286
________________ 250 देवतामूर्ति-प्रकरणम् the four-armed idol, the attributes of the two left hands arc a shakti weapon and a noose respectively, with one right hand holding a twasi or sword and the other hand (i.e. the fourth hand of a four-armed image) in either the Varad or the Abhay mode.(43). Such is the Lord Karttikeya Swami, the radiant god who grants all wishes. (44). पाँच लीला देवी पञ्चलीलया वक्ष्यामि शस्त्रभेदैस्तु भेदिताः। लीलया लीला लीलागी ललिता च लीलावती ॥४५॥ . तप्तकाञ्चनवर्णाभा बालसूर्यसमप्रभा। सुवक्त्रा च सुनेत्रा च स्वरूपा रूपदायिनी ॥४६॥ अक्षमाला-कमण्डलू' अधोहस्तेषु कारयेत्। द्वौ हस्तावीदृशौ सर्वावर्ध्वहस्तौ निगद्यते ॥४७॥ मृणाल-युग्मैः लीलया लीला स्यात् पद्मपुस्तकैः । लीलाङ्गी पाशपद्माभ्यां ललिता च वज्रांकुशैः ॥४८ ॥ पाशांकुशैलीलावती लीलया: पञ्च कीर्तिताः । शस्त्रों के भेदों के अनुसार पाँच लीला देवी के स्वरूप को कहता हूँ। लीलया, लीला, लीलांगी, ललिता और लीलावती ये पाँच लीला देवी हैं। वे तपे हुए सुवर्ण के जैसे वर्ण वाली और बालसूर्य के जैसी प्रभा वाली, अच्छे मुख वाली, अच्छे नेत्र वाली, सुन्दर रूप वाली और रूप देने वाली हैं। पाँचो लीलादेवियों के नीचे के दोनों हाथों में से दाहिने हाथ में अक्षमाला और बांये हाथ में कमण्डलु है। अब ऊपर के दोनों हाथों के शस्त्र इस प्रकार है- ऊपर के दोनों हाथों में कमल धारण करने वाली लीलया देवी है। कमल और पुस्तक धारण करने वाली लीलादेवी है। पाश और कमल को धारण करने वाली लीलांगी देवी 1. मु. तक कुण्डी।

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