Book Title: Devta Murti Prakaran
Author(s): Vinaysagar, Bhagvandas Jain, Rima Jain
Publisher: Prakrit Bharati Academy

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Page 273
________________ देवतामूर्ति-प्रकरणम् 237 ८. रंभा देवी कमण्डल्वक्षवज्राकुशं गजासनसंस्थिता। सा प्रतीतोद्भवद् रूपा रम्भा च सर्वकामदा ॥१०॥ रम्भा देवी भुजाओं में कमण्डलु, अक्षमाला, वज्र और अङ्कश . को धारण करती है और हाथी की सवारी करने वाली हैं, वह सब कामना को पूर्ण करने वाली और प्रतिक्षण अनेक रूप धारण करने वाली है। Seated on an elephant throne, and possessing a kamandalu, a rosary, a thunderbolt and a goad in her hands is the goddess Rambha. She appears in ever-changing forms and grants fulfillment of all desires. (10). ९. सावित्री देवी अक्षसूत्रं पुस्तकं च धत्ते पद्मं कमण्डलुम्। चतुर्वक्त्रा तु. सावित्री श्रोत्रियाणां गृहे हिता ॥११॥ अक्षसूत्र, पुस्तक, कमल और कमण्डलु को धारण करने वाली सावित्री देवी है। वह चार मुखवाली है। वह वेदपाठक ब्राह्मणों के घर हितकारक है। Savitri possesses a string of prayer-beads, a book, a lotus • and a kamandalu in her hands. The goddess has four faces. Savitri is auspicious for the homes of those who study the scriptures. . . (11). १०. त्रिखण्डा देवी अक्षसूत्रं वज्रशक्ती तस्याधश्च कमण्डलुः । त्रिखण्डां पूजेयन्नित्यं सर्वकामफलप्रदाम् ॥१२॥ अक्षमाला, वज्र, शक्ति और कमण्डलु को धारण करने वाली त्रिखंडा नाम की देवी है। उसकी हमेशा पूजा करने से सब इच्छित फल देने वाली हैं। Bearing a rosary, a thunderbolt, the Shakti weapon and a kamandulu in her hands is the goddess Trikhanda. Regular and

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