Book Title: Devta Murti Prakaran
Author(s): Vinaysagar, Bhagvandas Jain, Rima Jain
Publisher: Prakrit Bharati Academy

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Page 251
________________ देवतामूर्ति-प्रकरणम् The blue-coloured yaksha Matanga attends on Lord Suparshva. Matanga rides on an elephant. His hands hold a Bilva fruit, a noose, a goad and mongoose, respectively. (30). ७. शान्ता देवी शान्ता भवेत् सुवर्णा स्याद् गजारूढा चतुर्भुजा । वरदं चाक्षसूत्रं चाभयं तस्मात् त्रिशूलकम् ॥३१ ॥ शान्ता नाम की यक्षिणी सुवर्ण वर्ण वाली और हाथी की सवारी करने वाली है.। वह चारों भुजाओं में वरद मुद्रा, अक्षमाला, अभय और त्रिशूल को धारण करती है। 215 The four-armed, golden- hued, yakshini Shanta rides on an elephant. She holds one hand in the Varad position, and has a rosary in the second, with the third in the Abhay position and the fourth grasping a trident. ( 31 ). ८. विजय यक्ष चन्द्रप्रभस्य विजयों त्रिनेत्रो हंसवाहनः । द्विभुजो नीलवर्णः स्याच्चक्रं च मुद्गरं क्रमात् ॥३२॥ आठवें चन्द्रप्रभ तीर्थंकर के शासन में विजय नाम का महायक्ष है। वह तीन नेत्र वाला, हंस की सवारी करने वाला, और दो भुजाओं वाला नील वर्ण का है। भुजाओं में चक्र और मुद्गर को धारण करता है । Three-eyed Vijay is the attendant of Lord Chandraprabh. Vijay is seated on a swan. He is blue in colour and has two arms. He holds a disc (chakra) and a mudgar (club) respectively in his hands. (32). . ८. भृकुटि देवी भृकुटिः पीतवर्णा स्यात् सिंहारूढ़ा चतुर्भुजा । खड्गं तथा मुद्गरं च परशुं खेटकं क्रमात् ॥३३ ॥

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