Book Title: Devta Murti Prakaran
Author(s): Vinaysagar, Bhagvandas Jain, Rima Jain
Publisher: Prakrit Bharati Academy

Previous | Next

Page 250
________________ 214 देवतामूर्ति-प्रकरणम् ६. कुसुम यक्ष पद्मप्रभस्य कुसुमो नीलो हरिणवाहन: । बीजपूराभयं चैवाक्षसूत्रं नकुलं तथा ॥२८॥ छट्टे पद्मप्रभ तीर्थकर का कुसुम नाम का यक्ष है, वह नीले वर्ण वाला और हरिण की सवारी करने वाला है।चार भुजाओं में बीजोरा, अभय, अक्ष माला, और न्यौला को धारण करता है। Lord Padmaprabh is attended on by the blue-coloured yaksha Kusum, who has a deer as his vahana (vehicle or mount). He possesses as his attributes a citron, the Abhay position, a string of prayer-beads and a mongoose respectively in his four hands. (28). . ६. श्यामा देवी श्यामा च श्यामवर्णा स्याद् नरारूढा चतुर्भुजा। वरं बाणाभयं चापं तस्या हस्तेषु च क्रमात् ॥२९॥ . श्यामा नाम की यक्षिणी श्याम वर्णवाली और पुरुष की सवारी करने वाली है। चार भुजाओं में क्रम से वरदमुद्रा, बाण, अभय और धनुष को धारण करती है। Dusky Shyama is scated on a man. The dark-complexioned yakshini has four arms, with one hand in the Vara (blessing) position, the second holding an arrow, the next raised in the Abhay (fearlessness) position and the fourth holding a bow. (29). ७. मातङ्ग यक्ष सुपार्श्वे नीलवर्णः स्याद् मातङ्गो गजवाहनः । हस्तेषु बिल्व पाशं चाकुंशं च नकुलं तथा ॥३०॥ सातवें सुपार्श्वनाथ भगवान के शासन में मातङ्ग नाम का यक्ष है, वह नीले वर्ण वाला और हाथी की सवारी करने वाला है। चार भुजाओं में क्रम से बीली फल, पाश, अङ्कुश और न्यौला को धारण करता है।

Loading...

Page Navigation
1 ... 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318