Book Title: Devta Murti Prakaran
Author(s): Vinaysagar, Bhagvandas Jain, Rima Jain
Publisher: Prakrit Bharati Academy

Previous | Next

Page 246
________________ 210 देवतामूर्ति-प्रकरणम् १. गोमुखयक्ष अथात: सम्प्रवक्ष्यामि यक्षिणीयक्षमूर्तयः । ऋषभे गोमुखो यक्षो हेमवर्णो गजासनः ॥१७ ॥ वराक्षसूत्रं पाशं च बीजपूरं करेषु च ॥१८॥ अब यक्ष-यक्षिणियों की मूर्तियों का स्वरूप कहता हूँ- प्रथम ऋषभदेव भगवान का गोमुख नाम का यक्ष है, वह सुवर्ण वर्ण वाला, हाथी की सवारी करने वाला, चार भुजा वाला है, दाहिनी वाली दो भुजाओं में वरदमुद्रा और माला, बाँयी भुजाओं में पाश और बीजोरा है। I (Mandan) shall now describe the respective statues of the various attendant yakshas and yakshinis of the Tirthankars... ____Gaumukh, the attendant yaksha of Lord Rishabhadeva, is golden in colour. He rides an elephant. (17). . Gaumukh holds one hand in the Vara (blessing) position, and possesses a string of prayer-beads, a noosc, and a citron in his other hands. (18). १. चक्रेश्वरी देवी चक्रेश्वरी हेमवर्णा ताारूढाष्टबाहुका। वरं बाणं चक्रपाशां-कुशचक्राशनिर्धनुः ॥१९॥ चक्रेश्वरी देवी सुवर्ण वर्ण वाली, गरुड़ की सवारी करने वाली और आठ भुजा वाली है, भुजाओं में वरद, बाण, चक्र, पाश, अङ्कुश, चक्र, वज्र और धनुष को धारण करती है। Chakreshwari is also golden in colour. She rides on Garuda. Chakreshwari has eight arms, and is depicted with one hand in the Vara (or blessing) position, and the other seven hands holding an arrow, a disc, a noose, a goad, a disc, a thunderbolt and bow respectively. (19).

Loading...

Page Navigation
1 ... 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318