Book Title: Devta Murti Prakaran
Author(s): Vinaysagar, Bhagvandas Jain, Rima Jain
Publisher: Prakrit Bharati Academy

Previous | Next

Page 224
________________ 188 - देवतामूर्ति-प्रकरणम् as Vishnu. (The height of the peethika should be as much as the Vishnu part). A Siva-linga and its peethika base should be made from the same material or class (jati). Mixing different matcrials is not desirable. (129). आहुः शैलेष्टमे केचित् पीठं पक्वेष्टकामयम् । उपर्युपरि पीठानां सन्धिरङ्गावसानके ॥ १३० ॥ नालस्य मध्य मध्ये च कर्णसन्धिं न सन्धयेत् । कितने ही शास्त्रकार पाषाण और काष्ठ के लिङ्ग के लिए पकी हुई ईंट. की पीठिका बनाना कहते हैं। ऊपर की हुई पीठिका की संधि उसके अवसान में करनी चाहिये। परन्तु नासा के मध्य भाग में और दोन में संधि नहीं करना । Some learned people are of the view that for Siva-lingas made of stone and wood the peethika can be inade from baked bricks also. The joint or union of the raised Peethika should be at its concluding point (or end) (130). However, there must not be any joint in the middle of the channel (nala) or at the corners. (131a). प्रणालिका का भाग प्रणालं तु त्रिभागेण तत्तुल्यं चाग्रमर्द्धकम् ॥ १३१ ॥ त्रिधा विभक्तमग्रे तु मध्ये सजलमार्गतः। कन्दे तु पदमेकैकं मध्यवंशोद्भवाकृतिः ॥ १३२॥ . पीठिका के विस्तार का तीसरा भाग प्रणालिका संधि करना और प्रणालिका के आधे भाग में नासिका के मुख का विस्तार करना, तथा मुख के तीसरे भाग का जलमार्ग करना। एक-एक पद में कुन्देन्दु करना और मध्य में वंशोद्भव का आकार करना। For the scale of the channel or pranalam, divide (the length An alternate meaning is Siva-lingas made from wood obtained from mountains - Shail-drumal.

Loading...

Page Navigation
1 ... 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318