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देवतामूर्ति-प्रकरणम् peace, Vajra causes the destruction of one's enemies and Padma grants good fortune, while Ardh-Chandra bestows happiness and Trikona destroys enemies. (150).
स्वजाति पीठ का फल
शैलजे शैलजा योज्या दारुजे दारुजा शुभा। पार्थिवे पार्थिवी कार्या लोहजे लोहजोत्तमा॥ रत्नजे धातुजा शस्ता रत्नज़ाता विशेषत: ॥ १५१ ॥
पाषाण के लिङ्ग को पाषाण की, काष्ठ के लिङ्ग को काष्ठ की, मिट्टी के लिङ्ग को मिट्टी की. और लोह के लिङ्ग को लोहा की पीठिका करना शुभ है। . रत्न के लिङ्ग को धातु की पीठिका करना शुभ है, परन्तु रत्न की पीठिका करें तो विशेष शुभ है।
A stone Siva-linga should have a stone peethika (base) while a wooden linga is auspicious with a wooden peethika. In the same way, it is best if an earthen linga has an earthen base and an iron linga an iron base. A metal base may be used for
a linga made of precious stones or jewels, but it is more : ayspicious if the base of a ratna linga can also be made from :: precious stone. (151).
• • प्रणाल व्यवस्था
मूलादग्रं प्रणालस्य प्रमाणादधिकं शुभम्। जलमार्गस्त्रिभागेण चाग्रतस्तु सुशोभनम् ॥ १५२ ॥
प्रणालिका भाग का प्रमाण से अधिक रखना शुभ है।आगे के मुख के विस्तार के तीसरा भाग के मान का जल मार्ग करना शुभ है।
It is asuspicious to keep the basic scale of the water-channel or 'pranalam' more than the measurement or scale for the base. A third part of the spout or mouth of the peethika should be the scale for the water-channel. (152).