Book Title: Devta Murti Prakaran
Author(s): Vinaysagar, Bhagvandas Jain, Rima Jain
Publisher: Prakrit Bharati Academy

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Page 229
________________ देवतामूर्ति-प्रकरणम् 193 स्थंडिला एक मेखला वाली, वापी दो मेखला वाली और यक्षी तीन मेखला वाली करना, तथा वेदी पीठ लंबी सम चोरस बनाना। ये सर्व इच्छित फल को देने वाली है। Sthandila is four-cornered, with one mekhala, Vapi has two mekhlas and Yakshi three. Vaidi is four-cornered, like a sacrificial yagna altar, and all are able to fulfill all desires. (144). . कर्तव्या मण्डलकारा मेखलाभिरलंकृता। मण्डला सा तु विज्ञेया गणानां सिद्धिहेतवे ॥ १४५ ॥ गोल मंडल वाली और अधिक मेखला वाली मंडला नाम की पीठ है, वह गण देवों की सिद्धि के लिये है। Know Mandala as a peethika with a circular shape like a mandal adorned with a mekhla-girdle. Mandala enables the Ganas (demi-gods; believed to be attendants of Siva), to attain siddhi-all manners of accomplishments and perfection. (145). पूर्णचन्द्रनिभाकारा मध्यन्यस्तद्विमेखला। ... विज्ञेया पूर्णचन्द्रा सा रुद्राणां सततं प्रिया ॥ १४६ ॥ पूर्णचन्द्रमा के जैसी गोल आकार वाली और मध्य में दो मेखला वाली जैसी पूर्णचन्द्रा नाम की पीठ है, वह रुद्रों को हमेशा प्रिय है। ... Rounded, like the full moon, is .Purna-Chandra, with two • • mekhlas in its middle/centre. Recognise Purna-Chandra as the eternal favourite of the Rudras. (146). ...'. षडस्रा च भवेद् वज्रा मेखला त्रयभूषिता। . षोडशास्रा भवेत् पद्मा किञ्चिद् इस्वो तु मूलत: ॥ १४७ ॥ छः कोना वाली और मध्य में तीन मेखला वाली वज्रा नाम की पीठ है। सोलह कोणा वाली और नीचे कुछ छोटी हो वह पद्मा नाम की पीठ है। Vajra has six corners and is adorned with three mekhlas, मु. रुद्रानीशतसंप्रिया। 2. मु. स्यान्मृणालवत् ।

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