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देवतामूर्ति-प्रकरणम्
201 door. To the right of the door is the other door-keeper, known as Asit. Asit holds a Padma-danda, a Khatvanga, a lotus-stalk and. a citron (in the order cited). (167).
वाहन विधान
वाहनं यस्य देवस्य तत्तस्याग्रे प्रकल्पयेत् ॥ एक-द्वि-त्रि-चतुः-पञ्च-रस-सप्तपदान्तरे ॥ १६८ ॥ वाहनं मूर्तिलिङ्गं च मूलप्रासादमानतः। वृषभस्य विष्ण्वान्ते च लिङ्गे दृष्ट्वा नियोजयेत् ।
सूर्यस्याग्रे भवेत् सोमस्तनसूत्रसमोदयः ॥ १६९ ॥ ___जिस देव का जो वाहन हो, वह उस देव के आगे एक, दो, तीन, चार, पांच, छ: या सात पद के अन्तर से स्थापन करें। इन मूर्तियों और लिङ्ग के वाहन का मान मुख्य प्रासाद के मान से जानना। शिवलिङ्ग के नंदी का उदय विष्णु लसा अर्थात् नसघरी के उदय तक बनावे ।
The vahanas (vehicles or mounts) of the deities :Whichever vehicle belongs to a particular deity should be installed in front of its associated deity at an interval of one, two, three, four, five, six or seven padas (footstep or paces) from the idol. (168)..
1. The scale of these vahanas, statues and lingas should be ' calculated from the scale of the main temple itself. Sculpt Nandi, the bull of Siva, at the end of the Vishnu-Sutra giving due consideration to its size, scale and placement in relation to the Siva-linga. For; the position of vahanas before their deity is like the moon before the rising Sun. (169).
वाहन की दृष्टि__ पादं जानु कटिं यावन्मूर्ती वाहनदृक्शुभा।
स्थाननाशं करोत्यूर्ध्वाधोदृष्टिश्च प्रजाक्षयम् ॥ १७० ॥
1. मु. दृष्टां।
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