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श्येनो वज्रं मृगश्च्छागो नन्द्यावर्तो घटोऽपि च ।
कूर्मो नीलोत्पलं शङ्खः फणी सिंहोऽर्हतां ध्वजाः ॥ ६ ॥
वृषभ, हाथी, घोड़ा, वानर, क्रौंच पक्षी, कमल, स्वस्तिक, चन्द्रभा, मगर, श्रीवत्स, गेंडा, भैंसा, सूअर, श्येन पक्षी, वज्र, हरिण, बकरा, नंद्यावर्त, कलश, कछुआ, नील कमल, शङ्ख, सर्प और सिंह ये अनुक्रम से चौबीस तीर्थंकरों के चिह्न हैं ।
The symbols of the twenty-four Tirthankars (or Arhats) are :- a bull, an elephant, a horse, a monkey, the Kraunch bird (curlew/heron), a lotus, the auspicious Swastika mark, the moon, . a makara (crocodile, or mythical sea-monster), the auspicious Srivatsa mark, a rhinoceros a buffalo, a boar ( 5 ), the Shyena bird (falcon or hawk), a Vajra (thunderbolt, also used for diamond), a deer, a goat, the auspicious Nandhyavarta mark, a water-pot, a tortoise, a blue lotus, a conchshell, a snake and a lion, respectively. (6).
तीर्थंकरों के जन्मनक्षत्र —
देवतामूर्ति-प्रकरणम्
उत्तराषाढ़ -रोहिण्यौ मृगशीर्षं पुनर्वसुः ।
मघा चित्रा विशाखाश्चानुराधा मूलमेव च ॥७ ॥ पूर्वाषाढा श्रुतिश्चैव शताभोत्तरभाद्रपत् । रेवती' पुष्यभरणी कृत्तिका रेवती क्रमात् ॥८ ॥ अश्विनी श्रवणाश्विन्यौ तथा चित्रा विशाखिका ।
उत्तराफाल्गुनी चेति जिनानां जन्म भानि वै ॥ ९ ॥
उत्तराषाढ़ा, रोहिणी, मृगशिर, पुनर्वसु, मधा, चित्रा, विशाखा, अनुराधा, मूल, पूर्वाषाढा, श्रवण, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद, रेवती, पुष्य, भरणी, कृत्तिका, रेवती, अश्विनी, श्रवण, अश्विनी, चित्रा, विशाखा और उत्तराफाल्गुनी ये चौवीस जिन देव के नक्षत्र
हैं।
1.
मु. स्वाती च ।