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देवतामूर्ति-प्रकरणम्
तिथि लाने का प्रकार
तुङ्गमष्टगुणं कृत्वा तिथिभिर्हरणात् ततः ।
शेषं च तिथयः सम्यग् रिक्ता पर्वविवर्जिताः ॥ ९५ ॥ .
प्रासाद या शिवलिङ्ग को आठ से गुणा करके पंद्रह से भाग देना. जो. शेष बचे वह तिथि जानना। उनमें रिक्ता (४-९-१४) तिथि को छोड़कर बाकी तिथि शुभ हैं।
If the elevation/height is multiplied by cight and the result divided by fifteen, the remainder should be considered to be the dates. Of these, the inauspicious dates are the 4th, 9th and 14th days of a lunar fortnight. (95). शिवलिङ्ग के शुभ चिह्न और शुभ रेखा
पद्मं शङ्ख ध्वजं छत्रं खड्ग: स्वस्तिक चामरे। वज्रं दण्डार्द्धचन्द्रौ गौश्चक्रं मत्स्यो घटः शुभाः ॥ ९६ ॥ सौख्यदं चिह्नमित्याद्यमावर्तो दक्षिणं हि य:। रक्तश्वेतपीतकृष्णारेखा-वर्णेषु सौख्यदा ॥ ९७ ॥
कमल, शङ्ख, ध्वज, छत्र, तलवार, स्वास्तिक, चामर, दण्ड, अर्द्धचंद्र, गो, चक्र, मछली और कलश ये चिह्न शिवलिंग पर होते हैं तो शुभकारक है। तथा शिवलिङ्ग पर दक्षिण आवर्त हो तो शुभ हैं। लाल, सफेद, पीली और कृष्ण रंग की रेखा हो तो वह शिवलिङ्ग अनुक्रम से ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शुद्र वर्गों के लिये शुभदायक है।
Symbols which are auspicious on Siva-lingas are a lotus, a conchshell, a flag, an umbrella, a sword, the swastik, the chamar (or chowrie-the bushy tail of the Chamara (Bos grunniens) used as a fan, and believed to be one of the insignia of royalty), a thunderbolt or vajra mace, the danda rod, a half-moon or crescent moon, a Gau-Chakra, a fish and a water-pitcher. (96). 1. मु च चक्रमत्स्यौ।