Book Title: Devta Murti Prakaran
Author(s): Vinaysagar, Bhagvandas Jain, Rima Jain
Publisher: Prakrit Bharati Academy

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Page 159
________________ देवतामूर्ति-प्रकरणम् .. 123 ___जिस शालिग्राम शिला में खड्ग को धारण किया हुआ खड्गासन स्थित रूप मालूम पड़े और दो चक्र युक्त हो, वह पुरुषोत्तम शिला है। If the stone has the form of a sword-weilder seated in khadagasana and also has two circles on it, know it to be Purushottam. (60). चक्र प्रतिष्ठा का निषेध 'अहं ब्रह्मादयो देवाः सर्वभूतानि केशवः ॥ सदा सन्निहिताश्चक्रे प्रतिष्ठाकर्म नास्त्यत: ॥६१ ॥ मैं 'विश्वकर्मा' और ब्रह्मा आदि सब देवों, सर्वभूतों और केशव ये सब देव शालिग्राम शिला में हमेशा रहे हुए हैं, जिससे उसका प्रतिष्ठाकार्य नहीं होता (Speaks the Supreme Being), "I, Brahma and the other gods, spirits and Keshav, have perpetually remained together collectively. (in a Shaligrama stone). Thus, the stone requires no pratishthakarma or additional consecration. (61). शालिग्रामशिला के बेचना का निषेध शालिग्रामशिलाया यश्चक्रमुद्घाटयेन्नरः । विक्रेता चानुमन्ता च य: परीक्ष्यानुमोदयेत् ॥ सर्वे ते नरकं यान्ति यावदाभूतसम्प्लवम् ॥६२ ॥ ___ जो पुरुष शालिग्राम शिला के मूल्य को प्रकट करे, बेचे, मूल्य का अनुमान लगावे, या परीक्षा करके बेचाती लेवे वे सब लोक जब तक पृथ्वी का प्रलय न हो तब तक नरक में जाते हैं। A person who sells, or attempts to estimate the value of, or accepts after subjecting to an examination, any Shaligrama stone with circles on it will go to hell until such time as the 1. . मु. आहुः

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