Book Title: Devta Murti Prakaran
Author(s): Vinaysagar, Bhagvandas Jain, Rima Jain
Publisher: Prakrit Bharati Academy

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Page 195
________________ देवतामूर्ति-प्रकरणम् 159 एक ही आसन पर बैठे हुए और एक ही शरीर धारण करने वाले शिव और ब्रह्मा की मूर्ति छ: भुजा और चार मुख वाली बनाना। नीचे की दो भुजा कमण्डलु और अक्षमाला, मध्य की दो भुजा कमल और ऊपर की दोनों भुजा कमल दण्ड युक्त बनाना, तथा सब आभूषण भी करना, ऐसी मूर्ति सर्व इच्छित फल को देने वाली है। Chandrankapitamah Adorned with all the appropriate jewellery, and possessing six arms and four faces is the statue of Chandranka-Pitamah, (composite of Siva and Brahma together). The two lowermost hands hold a kamandalu and a string of prayer-bcads, while the two middle ones hold lotuses.(48). In the uppermost hands are lotus-stalks. Embellish the statue with all the auspicious symbols and attributes, and depict all kinds of adornments. It will grant success in all tasks. (49). चण्ड भैरव लेलिहन्तं दंष्ट्राकरालं चण्डभैरवमुत्तमम् । एकवक्त्रं शूलहस्तं खड्गशक्तिशरांकुशम् ॥ ५० ॥ वरदं दक्षिणे ज्ञेयं खट्वाङ्गं खेटकं तथा । . चापं तथाऽभयं चैव कपालं वामहस्तके ॥ ५१ ॥ द्वाभ्यां वै गजचर्म स्यान्मुण्डमालाविभूषितम्। ईदृशं कारयेत् प्राज्ञश्चण्डभैरवमुत्तमम् ॥ ५२ ॥ एक ही शरीर धारण करने वाली शिव और भैरव की मूर्ति जीभ बाहर निकलती, विकराल दाँतों वाली, एक मुख और दश भुजा वाली बनाना । दाहिने हाथों में खड्ग, शक्ति, बाण, अङ्कश और वरदमुद्रा को, तथा बायें हाथों में खट्वाङ्ग, ढाल, धनुष, अभय और कपाल को धारण करने वाली व दोनों हाथी का चमड़ा पहने हुए और मुंडमाला धारण करने वाले, इस प्रकार की चंड भैरव की मूर्ति बुद्धिमान पुरुष बनावें।

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