Book Title: Devta Murti Prakaran
Author(s): Vinaysagar, Bhagvandas Jain, Rima Jain
Publisher: Prakrit Bharati Academy

Previous | Next

Page 174
________________ 138 देवतामूर्ति-प्रकरणम् पूर्व दिशा के द्वारपाल तर्जनीं शङ्खचक्रं च दण्डं प्राग्दक्षिणक्रमात् ॥१११ ॥ . चण्डाभिधानकः प्रोक्तोऽस्यापसव्ये प्रचण्डकः ॥ वामे चण्ड: प्रकर्त्तव्य: प्रचण्डो दक्षिणे तथा ॥११२ ॥ तर्जनी, शङ्ख, चक्र और दण्ड को दाहिने हाथ से धारण करने वाला; चण्ड नाम का द्वारपाल है। शस्त्रों को बाँये हाथ में रखने से प्रचंड नाम का द्वारपाल है। इनमें पूर्व दिशा की बाँयी ओर चण्ड को और दाहिनी ओर प्रचण्ड की स्थापना करना। They are all dwart-like in appearance like Vamaq, and are very auspicious and lucky in every way. Holding, in the order of pradakshina or circumambulation (i.e. left to right), a raised. foresinger (tarjani), a conchshell, a disc and a danda (111), is the guardian, called Chand. Holding the same attributes as Chand but in the reverse order is Prachand. Chand stands to the left and Prachand to the right of the eastern portal. (112). दक्षिण दिशा के द्वारपाल पद्मखड्गं खेटकं च गदां तेषु प्रदक्षिणे। विलोमैः पद्मगदयोर्जयो विजय दक्षिणे ।११३ ॥ पद्म, खड्ग, ढाल और गदा को प्रदक्षिण क्रम में धारण करने वाला बाँयी ओर जय नाम का द्वारपाल है। पद्म के स्थान में गदा और गदा के स्थान में पद्म को बाकी शस्त्रों को पूर्ववत् धारण करने वाला विजय नाम का द्वारपाल दक्षिण तरफ स्थापन करना। Holding a lotus, sword, shicld and mace respectively in the pradakshina order stands Jai, while holding the same attributes in the opposite order (i.c. mace in place of a lotus and so on) stands Vijay. They guard the southern door, Jải standing to the left and Vijay to the right of the door. (113).

Loading...

Page Navigation
1 ... 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318